- फाइलेरिया भी बना देती है व्यक्ति को विकलांग के समान, सजगता से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है : डॉ मुकेश
राष्ट्रनायक न्यूज।
मधेपुरा (बिहार)। आँकड़ों के अनुसार लगभग पूरी दुनिया के 15% लोग विकलांग हैं। इसलिये, विकलांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है।
फाइलेरिया रोग को हल्के में ना लें, बना सकता है विकलांग –
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मुकेश कुमार सिंह कहते हैं कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। ये साइलेंस रहकर शरीर को खराब करती है। यही कारण है कि इस बीमारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती जो आगे चलकर विकलांगता का कारण भी बनती है। हालांकि सजगता से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है। डाॅ मुकेश बताते हैं कि सामान्यतः फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है।
फाइलेरिया से बचाव के उपाय –
- फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।
- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें।
- सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसो या नीम का तेल लगाएं।
- हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।
फाइलेरिया खत्म करने के लिए दवा का सेवन सबसे महत्वपूर्ण –
जिले की फाइलेरिया मुक्त करने की दिशा में सर्वजन दवा सेवन यानी एमडीए अभियान का संचालन गत सितंबर एवम् अक्टूबर माह में किया गया था। इस अभियान में जिले में 21.76 लाख लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन हेतु डीईसी एवम् एलबेंडाजोल की गोली खिलाई जानी थी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया गत सितंबर एवम् अक्टूबर माह में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाकर लोगों को उनके घर पर ही डी. ई. सी. एवम् एलबेंडाजोल की गोली का सेवन आशा कार्यकर्त्ता के द्वारा कराया गया था। शत प्रतिशत लक्षित जनसंख्या को दवा का सेवन सुनिश्चित कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी 13 प्रखंडों के चिकित्सा पदाधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए गए थे। डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व की तरह तय मानकों के अनुसार आशा कार्यकर्ता ने पात्र लाभुकों को घर घर जाकर दवा का सेवन करवाया। दवा सेवन के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी ध्यान रखा गया था। इस अभियान का मापअप राउंड गत 25 नवंबर को खत्म हुआ है।
केस स्टडी
फाइलेरिया पीड़ित 52 वर्षीया नमिता ने 20 अक्टूबर दवा सेवन कर दिया था जागरूकता का संदेश:
नगर पर्षद क्षेत्र वार्ड संख्या 4 की निवासी 52 वर्षीया नमिता राय, (पति – विपीन राय) ने 20 अक्टूबर को डीईसी एवम् एलबेंडाजोल की दवा का सेवन कर जागरूकता का संदेश दिया था। नमिता राय खुद फाइलेरिया यानी हाथीपांव से पीड़ित हैं । पिछले 1 वर्ष से उसके बाएं पैर में सूजन है। दवा का सेवन कर नमिता ने बताया था कि जब उसे यह पता चल की वाह फाइलेरिया नामक रोग से पीड़ित है तब से वह लगातार डॉक्टर से संपर्क में रहती है एवं उनके द्वारा बताए गए दवा तथा उपायों को अपनाती आ रही है। नमिता को यह पता है कि इस रोग से उसे निजात तो कभी नहीं मिलेगी लेकिन फिर भी वो डॉक्टर द्वारा बताए गए दवा के अलावा हर साल डीईसी एवम् एलबेंडाजोल का सेवन करती है। यह रोग उसके परिवार के किसी और सदस्य या रिश्तेदारों को ना हो इसके लिए नमिता सभी को जागरूक करने का कार्य करती है। 20 अक्टूबर को भी नमिता ने आशा कार्यकर्ता द्वारा दिए गए दवा को खाकर जागरूकता का संदेश दिया। मौके पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मी उपस्थित रहे थे।


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