- बीमारी विशेष के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करते हैं टीके:
- जानलेवा एवं संक्रमक बीमारियों से बचाव के लगाये जाते हैं टीके:
- 02 अप्रैल तक दिया जाएगा प्रशिक्षण:
सहरसा (बिहार)। जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस टीकाकरण के माध्यम से गर्भवतियों को भी टीका लगाया जाता है। नियमित टीकाकरण की उपलब्धियों को सुदृढ़ करने के लिए जिला में कार्यरत एएनएम को प्रतिदिन दो पालियों में दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. कुमार विवेकानंद, शहरी स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. आर. के. सिंह एवं यूनिसेफ के एसएमसी बंटेश नारायण मेहता द्वारा जीएनएम स्कूल में प्रदान किया जा रहा है।
बीमारी विशेष के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करते हैं टीके:
टीकाकरण के संबंध में जानकारी साझा करते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. कुमार विवेकानंद ने बताया टीकाकरण व प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति को आमतौर पर टीका दिये जाने के पश्चात उस संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षित या प्रतिरोधी बना दिया जाता है। टीका बीमारी विशेष के विरुद्ध व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करती एवं व्यक्ति को उस बीमारी से सुरक्षित करने का काम करती है। टीकाकरण आम तौर पर खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण और उन्मूलन करने के लिए किया जाता है। एक अनुमान के तौर पर देखें तो पायेंगे कि नियमित टीकाकरण के माध्यम से सरकार एक बड़ी संख्या में मौतों को रोकने में कामयाब रही है। यह सबसे अधिक किफायती स्वास्थ्य निवेशों में से एक है।
जानलेवा एवं संक्रमक बीमारियों से बचाव के लगाये जाते हैं टीके:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया नियमित टीकाकरण के तहत 12 प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाव के टीके सरकार द्वारा मुफ्त में दिये जाते हैं। इनमें तपेदिक यानि टीबी, हेपटाइटिस-बी, पोलियो, गलघोंटू यानि डिप्थीरिया, काली खाॅसी यानि पर्टुसिस, टेटनस, हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप- बी, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनियाॅ, खसरा, रूबैला एवं जापानी इंसफ्लाइटिस आते हैं। उन्होंने बताया तपेदिक यानि टीबी की रोकथाम के लिए बच्चों को जन्म के पश्चात बी.सी.जी. का एक टीका दिया जाता है। हेपटाइटिस-बी, जो कि एक विषाणु के कारण होता है, जिससे लिवर प्रभावित होता है। पोलियो जिससे बच्चों के शरीर किसी भाग में अचानक कमजोरी आ जाती है। गलघोंटू यानि डिप्थीरिया जो आम तौर पर गले और टाॅन्सिल को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इस प्रकार अन्य कई प्रकार के संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी तालिका के अनुरूप बच्चों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उक्त सभी जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके दिये जाते हैं।
02 अप्रैल तक दिया जाएगा प्रशिक्षण:
इस प्रशिक्षण में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के संचालन में होने वाली सामान्य समस्याओं के समाधान संबंधी जानकारी यूनिसेफ के एसएमसी बंटेश नारायण मेहता द्वारा एएनएम को दी गई। वहीं नियमित टीकाकरण में उपयोग की जा रही प्रतिवेदनों एवं पंजियों को सही ढंग से उपयोग करने संबंधी जानकारी भी उनके द्वारा प्रशिक्षण में भाग ले रहीं एएनएम को दिया गया। उन्होंने बताया जिले के एएनएम को दिया जा रहा यह प्रशिक्षण 24 मार्च से आंरभ है जो 2 अप्रैल तक चलेगा।
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