- ग्रामीण स्तर पर फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क से जुड़े सदस्यों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण:
- ज़िले को रोग मुक्त करने के लिए चलाया जा रहा है एनबीएस अभियान:
राष्ट्रनायक न्यूज।
कटिहार (बिहार)। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिले में 03 से 11 नवंबर से नाइट ब्लड सर्वे अभियान की शुरूआत की गयी है। जिसके तहत ज़िलें के सभी प्रखंडों के दो-दो गांवों का चयन किया गया है। चयनित स्थलों पर रात्रि में लोगों का ब्लड सैंपल लिया जा रहा है। ब्लड सैंपल जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि किन-किन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। सिविल सर्जन डॉ दीनानाथ झा ने बताया कि फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए डब्ल्यूएचओ, केयर इंडिया, सिफार एवं पीसीआई जैसे सहयोगी संगठनों द्वारा सामुदायिक स्तर पर सहयोग किया जा रहा है। इस अभियान को शत प्रतिशत सफ़ल बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क भी सहयोग कर रहा है। यह काफी अच्छी पहल है। इससे आम लोगों में एक मजबूत संदेश प्रसारित हो रहा है। उन्होंने बताया कि लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने के लिए अधिक से अधिक लोगों के रक्त के नमूना संग्रह करने की जरूत होगी। इससे फाइलेरिया उन्मूलन की राह आसान होगी।
ज़िले को रोग मुक्त करने के लिए चलाया जा रहा है एनबीएस अभियान:
ज़िला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में स्थानीय स्तर पर पंचायत जनप्रतिनिधियों द्वारा अभियान में सहयोग किया जा रहा है। रात्रि में 8 बजे से ब्लड सैंपलिंग का कार्य शुरू किया जाता हैं जो रात्रि के 12 बजे तक चलता है। इसमें 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरूष एवं महिलाओं का सैंपल लिया जा रहा है। नाईट ब्लड सर्वे का एक मात्र उद्देश्य फाइलेरिया के मरीज मिलने के बाद उनका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को रोग से मुक्ति दिलाना है। नाईट ब्लड सर्वे अभियान में गति देने के उद्देश्य से विभिन्न सहयोगी संस्थाओं द्वारा जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
पीआरआई, आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका सराहनीय:
केयर इंडिया के डीपीओं चंदन कुमार सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान विभागीय स्तर पर की गई है। चयनित स्थलों पर मध्य रात्रि में ही ग्रामीणों के रक्त के नमूने लिया जाता हैं। रक्त संग्रह करने के बाद प्रयोगशाला भेजा जाता है। जहां रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगता है। क्योंकि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि के 8 बजे के बाद ही सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही जानकारी मिलती हैं। इसके बाद ही विभाग द्वारा फाइलेरिया के संभावित रोगियों का समुचित इलाज किया जाता है। स्थानीय स्तर पर पंचायत जनप्रतिनिधियों के अलावा आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है।
पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़े सदस्यों द्वारा किया जा रहा है जागरूक:
फाइलेरिया नेटवर्क की सदस्य माचो देवी ने बताया कि बरारी प्रखंड के बारी नगर में सेंटिनल नाइट ब्लड सर्वे का कार्य किया जा रहा है। जिसमें नेटवर्क के सदस्यों एवं दिव्यांग विक्रम कुमार द्वारा संयुक्त रूप से सामुदायिक स्तर पर दर्जनों ग्रामीणों को जागरूक कर रक्त के नमूने को जांच कराया जा रहा है। साथ ही नेटवर्क के सदस्यों के द्वारा एमडीए दवा खाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेटवर्क सदस्यों के द्वारा फाइलेरिया से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है। जिसमें सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग, घर के आस-पास कूडे की सफाई, आसपास जल-जमाव रोकने, गन्दे पानी में केरोसिन तेल डाल कर सफाई करने जैसे महत्वपूर्ण बातों को ग्रामीणों के बीच रखा जा रहा है।


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