राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

65 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने अपने हौसले से दी टीबी को मात

  • बीमारी को लेकर अपने परिवार के अलावा समाज के लोगों को कर रही हैं जागरूक
  • लगातार छह माह तक दवा का सेवन कर टीबी से स्वस्थ हुई, वीएचएआई कार्यकर्ता की रही है मुख्य भूमिका
  • घर परिवार के साथ समाज ने भी कोई भेदभाव नहीं किया
  • यक्ष्मा विभाग के द्वारा घोषित किया जाता हैं टीबी चैंपियन

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

पूर्णिया (बिहार) महादलित टोला में रहने वाली 65 वर्षीय कुसुमी देवी की तबियत ख़राब होने के कारण खासे परेशान रहती थीं। क्योंकिं खांसते खांसते कफ़ के साथ ब्लड का आना रुकता नहीं था। विगत 4 वर्षों से बुजुर्ग महादलित महिला खांसी, कफ व कमजोरी से बहुत ज्यादा परेशान रहती थीं लेकिन इलाज कराने के लिए अस्पताल नहीं जाती थी। जिस कारण वह अपनी जिंदगी से ऊब चुकी थी, लेकिन अपने बेटा, बेटी व पतोहू के साथ साथ पोता-पोती के साथ दिन भर रहा करती थी। ताकि किसी तरह दिन कट जाए लेकिन घर वाले किसी तरह से कोई भेदभाव नहीं करते थे। इसी तरह कुसुम देवी का दिन कट रहा था। अचानक एक दिन खांसते खांसते खांसी के साथ खून भी निकलने लगा। जिसे घर परिवार के लोग कृत्यानगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर बलगम, बीपी, बुखार सहित कई अन्य बीमारियों की जांच के लिए खून एवं एक्सरे का सहारा लिया गया। जांच के बाद पता चला कि टीबी हो गया है। उसके बाद उनके मन में एक डर सा लगने लगा था लेकिन बीमारी से जीतने की उम्मीद भी थी क्योंकि हर बीमारी का इलाज स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों द्वारा किया जाता हैं। अंततः इस लड़ाई में सफलता भी मिलती है। इस नाउम्मीदी के बीच एक उम्मीद की एक किरण दिखाई दी और यह कुसुम देवी ने तय कर लिया कि वह हारेगी नहीं बल्कि इस लड़ाई से जीत कर समाज के प्रति हीनभावना को भी दूर करेंगी। इसी सकारात्मक सोच के साथ नियमित रूप से सरकारी अस्पताल से दवाइयां लेने लगी, जिससे लगातार सेहत में सुधार होने लगा। छह माह तक दवा सेवन के बाद अब वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं। अब वह समाज के दूसरे लोगों को भी टीबी सहित कई अन्य बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं।

टीबी जैसी बीमारी से लड़ाई जीतने के बाद दूसरों को कर रही हैं जागरूक:

अमूमन ऐसा देखा जाता है टीबी के मरीज अपनी पीड़ा समाज में बताना नहीं चाहता कि उसे यह बीमारी है। लेकिन दवा खाने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद भी वह इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं कि समाज को बताएं कि उन्होंने कभी टीबी की बीमारी हुई थी लेकिन अब वह स्वस्थ व सुरक्षित हैं। पूर्णिया जिले में ऐसे कई टीबी चैंपियन हैं, जिन्होंने न केवल इस बीमारी को हराया हैं बल्कि वह अब दूसरों को भी जागरूक कर रहे हैं। हम बात कर रहे है पूर्णिया जिले के कृत्या नगर प्रखंड अंतर्गत बेला रिकाबगंज पंचायत के महादलित बस्ती नया टोला निवासी जलथर ऋषि की 65 वर्षीय पत्नी कुसुम देवी की। जिन्होंने लगभग 4 वर्ष पूर्व ही टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गई थी। उसका इलाज मात्र एक वर्ष पहले शुरू हुआ और अब वह टीबी को मात देकर अब घर, गांव व अन्य समाज के लोगों को भी जागरूक करने का काम कर रही हैं। अब वह जिससे भी मिलती हैं उसको इस बीमारी के लक्षणों के संबंध में बताती और इलाज के साथ ही खान पान पर भी ध्यान दिलाती हैं। कहती हैं कि खान पान सही हो तो किसी भी तरह की बीमारी से निजात मिल सकती है।

लगातार छह माह तक दवा का सेवन कर टीबी जैसी बीमारी को दी मात:

कुसुम देवी ने बताया -टीबी की बीमारी होने से पहले मुझे किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हुई थी। लेकिन कई वर्षों से मुझे हल्का खांसी के साथ कभी कभी खून भी आता था और खासते खासते दम फूलने लगता था। बगल के गांव में रहने वाले वीएचएआई के मुकुल जी आये और नगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर गए। वहीं पर हर तरह की जांच कराकर दवा का सेवन करना शुरू किया। बेहतर उपचार के साथ समय पर दवा मिलने लगी। दवा ख़त्म होने के बाद फिर जांच कराई और उसके बाद आज मैं पूरी तरह से ठीक होकर सभी को जागरूक भी कर रही हूं।

वीएचएआई कार्यकर्ता की रही है मुख्य भूमिका:

कुसुम देवी की टीबी की बीमारी से निरोग करने में वीएच ए आई के सामुदायिक कार्यकर्ता मुकुल कुमार चौधरी की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता है। सामुदायिक कार्यकर्ता समय-समय पर कुसुम देवी के घर का दौरा करते रहते और कभी-कभी फोन द्वारा भी हाल समाचार लेते रहते थे। ताकि उन्हें नियमित रूप से दवा का सेवन व अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी देने का काम करते थे। अगर कोई अन्य समस्या उत्पन्न होती तो सामुदायिक कार्यकर्ता को इसकी जानकारी देने के बाद उसका उपचार सरकारी अस्पताल में जाकर कराती थी।

घर परिवार के साथ समाज ने भी कोई भेदभाव नहीं  किया:

कुसुम देवी ने बताया टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण शरीर में कमजोरी की शिकायत हमेशा रहती और उसी को ठीक करने के लिए खान पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। टीबी जैसी बीमारी के कारण स्वास्थ्य पूरी तरह से गिर जाता और वजन भी कम हो जाता है। इसके साथ ही शरीरिक बनावट भी पूरी तरह से बदल जाता है जिसको देखने मात्र से ही यह लगने लगता टीबी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति हैं। किसी भी बीमारी में अपनों की भूमिका अहम होती है। यह वह समय होता है, जब आपको दवा के साथ अपनों की दुआ की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। मुझे मेरे परिवार के साथ पड़ोसियों का भी साथ मिला। मेरे परिवार व समाज के लोगों ने मेरे साथ भेदभाव नहीं किया,  बल्कि हर समय मेरा साथ दिया और हौसला भी बढाया है।  के नगर पीएचसी के चिकित्सा कर्मियों की सलाह पर खाने वाले बर्तन को अलग रखा और कोरोना काल में तो हर कोई अपने आपको दूर रखने का प्रयास किया। घर में रहने पर सामाजिक दूरी के साथ ही मास्क का प्रयोग हर समय करती थी। इसके अलावे समय-समय पर हाथों की सफाई करती रहती थी। टीबी की बीमारी से बचने के लिए मास्क लगाना बहुत ही ज्यादा जरूरी होताहै हैं ताकि मेरे परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी नहीं हो।

यक्ष्मा विभाग के द्वारा घोषित किया जाता हैं टीबी चैंपियन:

टीबी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था वोलेंटियर हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (वीएचएआई) के जिला समन्वयक नवीन कुमार ने बताया कि यक्ष्मा केंद्र के द्वारा समय-समय पर टीबी जैसी बीमारी से लड़ाई  जीतने वाले व्यक्तियों का चयन टीबी चैंपियन के रूप में किया जाता है। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल होने के कारण ज़िले में टीबी जैसी गंभीर बीमारी को मात देने वालों की संख्या में कमी आई है। इस तरह की बीमारी वाले लोग कोरोना काल में घर पर रहते हुए संयमित रूप से अपने आपको बचाया और मास्क का प्रयोग बराबर किया है।