राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

सास की मेहनत रंग लाई, बहू ने दी टीबी बीमारी को मात

  • गांव की आशा बनी बदलाव की सूत्रधार
  • अपनों का प्यार ने दिखाया असर, नियमित दवा सेवन से बीमारी को हराया

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा (सारण) आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि अगर किसी व्यक्ति को टीबी की बीमारी हो जाती है तो गांव और समाज के साथ-साथ उसके अपने भी साथ छोड़ देते हैं। लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो अपनो का साथ हर परिस्थिति में निभाने के लिए तैयार होते हैं। एक ऐसी ही मिसाल पेश की है सारण जिले के तरैया निवासी शीला देवी ने। शीला देवी की बहू राजंती को वर्ष 2020 में टीबी जैसे गंभीर बीमारी हो गयी थी। राजंती को लगातार खांसी व खून आ रहा था और उसे कमजोरी भी महसूस हो रही थी। लेकिन उसके परिवार ने सरकारी दवाओं पर भरोसा करते हुए नियमित दवाओं का सेवन किया और टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराने में कामयाब रही। इस सफलता के पीछे राजंती की सास शीला देवी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शीला देवी हर परिस्थिति में अपनी बहू के साथ डटकर खड़ी रही और उसका पूरा ख्याल रखा। जिसका परिणाम है कि आज राजंती देवी पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

आशा बनी बदलाव की  सूत्रधार:

राजंती देवी अपने पति के साथ दूसरे प्रदेश में रहती थी। जब उनकी  तबीयत खराब हुई  तो  वह गांव लौट आयी और एक निजी अस्पताल में अपना इलाज कराने लगी। करीब 3 माह तक निजी अस्पताल में इलाज कराया फिर भी उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया।  इस बात की जानकारी गांव की आशा को मिली। गांव की आशा उनके घर पहुंची और उनको लेकर सरकारी अस्पताल में गई। जहां पर जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि राजंती देवी को टीबी  है। राजंती देवी कहती हैं  कि उनके  स्वास्थ्य का ख्याल रखने में उनकी  सासू माँ के साथ साथ गांव की आशा कार्यकर्ता का भी अहम योगदान है। आशा समय-समय पर आकर यह जानकारी देती थी कि  दवा का सेवन नियमित रूप से करना है। अस्पताल से घर ले जाने और घर से अस्पताल ले जाने में भी वह लगातार अपना सहयोग करती रही।

अपनों का प्यार किसी मर्ज से कम नहीं:

राजंती देवी का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी होती है तो गांव व समाज के लोग उसके साथ छुआछूत करने लगते हैं। यह कहीं से भी उचित नहीं है।  मेरे साथ किसी ने छुआछूत का भाव नहीं रखा सभी ने मेरा साथ दिया। इसमें मेरे पति और परिवार के सभी सदस्यों का प्यार मिला। अपनों  का प्यार किसी मर्ज से कम नहीं होता है। किसी बीमारी को हराने दवा के साथ साथ परिवार का सहयोग मायने रखता है।

मन में डर था फिर भी नहीं हारी हिम्मत:

राजंती देवी का कहना है जब उन्हें पता चला कि टीबी है तो उनके मन में इस बात का डर था कि क्या होगा? लेकिन फिर वो हिम्मत नहीं हारी और चिकित्सकों की  सलाह पर नियमित रूप से दवा सेवन किया। खान पान का भी विशेष ध्यान रखा। अपनों के साथ आशा और स्वास्थ्य कर्मियों ने मेरा हौसला बढ़ाया और मै अब पूरी तरह से ठीक हूँ। दवा के साथ पोषण आहार के लिए प्रति माह 500 रुपये भी विभाग के द्वारा दिया गया।