नई दिल्ली, (एजेंसी)। देश के विभिन्रन राजनीतिक दलों (खासकर क्षेत्रीय दलों) के द्वारा अक्सर जाति आधारित जनगणना की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग उठाई जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में इस मामले पर सरकार की स्थिति साफ कर दी है। एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 को वर्गीकरण के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को आंकड़े प्रदान किए गए हैं। गृह मंत्रालय ने सदन को बताया, “ग्रामीण विकास मंत्रालय और तत्कालीन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना 2011 संचालित किया गया था। दोनों मंत्रालयों ने जाति से संबंधित जानकारी छोड़कर बाकी को प्रकाशित कर दिया है।” गृह मंत्रालय ने कहा, “आॅफिस रजिस्ट्रार जनरल ने इसके लिए तकनीकी और अन्य सहायता प्रदान की थी। डेटा के वर्गीकरण के लिए आंकड़े सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को प्रदान किए गए। मंत्रालय का कहना है कि जाति के आंकड़े जारी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।” गृह मंत्रालय ने यह भी बताया है कि 28 मार्च, 2019 को भारत के राजपत्र में जनगणना 2021 के संचालन के लिए सरकार की मंशा को अधिसूचित किया गया है। जनगणना अनुसूची विभिन्न हितधारकों के परामर्श से तैयार की गई है। गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा कि आजादी के बाद भारत की जाति को सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के रूप में ही गणना किया गया है।


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