राष्ट्रनायक न्यूज

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वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों को इलाज करने वाले निजी चिकित्सक देंगे विभाग को सूचना: सिविल सर्जन

  • निजी चिकित्सकों के साथ सिविल सर्जन की बैठक
  • वायरल बुखार पीड़ित बच्चों का सर्विलांस करना आवश्यक
  • 20 बच्चों को ब्लड सैँपल भेजा गया पटना पीएमसीएच

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण)। जिले में वायरल बुखार से बच्चें पीड़ित हो रहे हैं। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। बेड के साथ दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। अब निजी अस्पतालों में इलाजरत वायरल बुखार से ग्रसित बच्चों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार की अध्यक्षता में निजी चिकित्सकों के साथ बैठक आयोजित की गयी। जिसमें सिविल सर्जन ने कहा कि वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की सर्विलासं व निगरानी करना अति आवश्यक है। ऐसे में अगर जिले के किसी भी निजी अस्पताल में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चा भर्ती होता है तो इसकी सूचना विभाग को देनी होगी। ताकि उन बच्चों को निगरानी की जा सके। सिविल सर्जन ने कहा कि  तापमान में अंतर होने पर बच्चों की सेहत पर अधिक असर होता है। संक्रामक रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इस मौसम में डायरिया व डिहाइड्रेशन की समस्या बच्चों में अधिक होती है। अस्पताल में ही पूरा इलाज उपलब्ध हो रहा है। दस्त-उल्टी, सर्दी, बुखार आदि होने पर अस्पताल में तुरंत उपचार कराएं।

20 बच्चों का ब्लड सैँपल भेजा गया पटना:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि जिले के अमनौर प्रखंड के एक गांव के 20 बच्चों का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए पीएमसीएच, पटना भेजा गया है। जांच के बाद यह पता चल सकेगा कि वायरल फीवर है या चमकी बुखार। फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है। बीमार बच्चों की लगातार निगरानी की जा रही है। वहां पर मेडिकल टीम को प्रतिनियुक्त किया गया है। आवश्यक दवाओं का वितरण भी किया जा रहा है। मेडिकल टीम लगातार कैंप लगाकर बच्चों की स्क्रीनिंग  कर रही है।

जरूरी है वायरल निमोनिया की पहचान

सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने कहा कि बच्चों को तेज बुखार, सुस्त रहना, सांस तेजी से तकलीफ, सर्दी लगातार बनी रहे व सांस लेने पर आवाज आए तो यह वायरल निमोनिया का लक्षण हो सकता है। इस समय बुखार के साथ टांसिल या मुंह में छालों की समस्या भी हो रही है। जिसकी समय पर पहचान व इलाज जरूरी है।

ओआरएस का घोल देना जरूरी

किसी भी बीमारी के लक्षण पहचानकर समय पर उपचार जरूरी है। अगर थोड़े समय में पांच से छह बार दस्त या उल्टी होने पर तुरंत ही डाक्टर को दिखाएं। घर पर ओआरएस का घोल व तरल पदार्थ देते रहें लेकिन इससे लाभ न होने पर लापरवाही न करें। बच्चा सुस्त रहे व आंख न खोले, पेट की चमड़ी में ढीलापन आए तो यह डिहाइड्रेशन के लक्षण हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

  • घर के बाहर तेज धूप या तेज बारिश में जाने से बचाएं।
  • पानी उबालकर पिलाएं।
  • फास्ट फूड व जंक फूड खाने से बचाएं।
  • सड़े गले या अधिक पके फल न खिलाएं।
  • हमेशा घर का बना ताजा व तरल भोजन ही खिलाएं।
  • सत्तू, दलिया, उपमा, दूध-केले, थोड़ा दही, ओआरएस पावडर आदि दें।
  • मच्छरों से बचाने के लिए पूरी बांह के  कपड़े व सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
  • बच्चे को पानी की कमी न होने दें।

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