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कुपोषण छोड़ पोषण की और थामे क्षेत्रीय भोजन की डोर थीम पर कांफ्रेंस का हुआ आयोजन

  • मालन्यूट्रिशन एंड कम्युनिकेब्ल डिजीज: पर्सपेक्टिव एंड डाइमेंशनस रखी गयी कांफ्रेंस की थीम:

नवादा, 13 सितंबर।

पोषण अभियान के नारा को चरितार्थ करते हुए आर एम डब्लू कॉलेज, नवादा, मगध विश्व विद्यालय के गृह विज्ञान विभाग ने 3 दिवसीय कान्फ्रेंस का आयोजन किया। कान्फ्रेंस का थीम “मालन्यूट्रिशन ऐण्ड कम्युनिकेब्ल डिजीज: पर्सपेक्टिव ऐंड डाइमेंशनस” राखी गयी। कांफ्रेंस का शुभारंभ करते हुए वाइस चांसलर, मगध विश्वविद्यालय ने कहा पोषण की महत्ता तो सभी के लिए सदैव से रहा है, परंतु करोना महामारी के बाद तो पोषण की अहमियत और बढ़ गई है। उन्होने गृह विज्ञान की विभागाध्यक्ष को इस तरह के विषयों पर कान्फ्रेंस करने के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी।

पोषण और एनीमिया पर हुई विस्तार से चर्चा:

कॉलेज के प्रिन्सिपल एस के मिश्र ने इस विषय की महत्ता को उजागर करने के लिए इस प्रयास की सराहना की। पी सी आई के स्वास्थ्य एवं पोषण लीड डाकटर राकेश झा ने कुपोषण के मुलभुत कारण और तत्कालिक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा केवल स्तनपान करवाकर बच्चों को गैर संचारी रोग से से एक हद तक बचाया जा सक्ता है। बी बी ए यू की डीन प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने कुपोषण की पहचान और उससे बचने के उपायों से अवगत कराया। डाक्टर प्रितंजली सिंह, हेड, रेडियेशन ऐंड औन्कोलोजी, एम्स, पटना ने बच्चों मे होने वाले कैन्सर और उसके प्रीवेनशन पर उम्दा तरीके से बताया। कान्फ्रेंस मे यू एस ए के कई विशेषज्ञों ने एनीमिया और अन्य पोषण सम्बंधी बिमारियों पर जागरुक किया। कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की डाक्टर गीतांजली ने कुपोषण के विशियॉस सायकल को बताते हुए कहा की कुपोषण से स्वास्थ्य, पौशण और स्वच्छता को अपनाकर ही लड़ा जा सकता है। डाक्टर रजनी, मगध महिला कौलेज ने बच्चों मे होने वाले कुपोषण को दुर करने की बात की। फिजीशियन धीरज कुमार के द्वारा फिट रहने के गुर सिखाए गए। तमाम प्रतिभागियों ने पोषण से संबंधीत कई तरह के सवालों को अपनी पूरी उर्जा के साथ हल किया। प्रतिभागियों को कई तरह के मनोरंजक क्रिया के साथ निम्न संदेशों को प्रसारित करने की बात कही:

  1. पहला 1000 दिन किसी भी मानव के जीवनकाल मे सबसे महत्वपूर्ण होता है।
  2. जन्म के तुरंत बाद स्तनपान।
  3. छह माह तक केवल स्तनपान।
  4. छह माह के बाद उपयुक्त उपरी आहार।
  5. पूरक आहार के साथ साथ कम से कम दो साल तक स्तनपान।

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