राष्ट्रनायक न्यूज। भारत ने अब तक 131 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण का टीका लगा कर सिद्ध कर दिया है कि इसका आधारभूत स्वास्थ्य ढांचा ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों में इस तरह मजबूत है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति के चलते इसे न केवल कारगर बनाया जा सकता है बल्कि जन कल्याण की नीति में तब्दील किया जा सकता है। भारत में टीकाकरण को लेकर जिस तरह कोरोना संक्रमण के दूसरे हमले के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में कटु आलोचनाएं हो रही थीं और टीकों की कमी की आशंका व्यक्त की जा रही थी उसे परे धकेलते हुए केन्द्र सरकार ने जो टीका नीति बनाई उसी का यह सफल परिणाम कहा जा सकता है हालांकि ऐसा सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही हुआ था जब उसने पूरे देश के लिए एक समान टीका नीति बनाने की हिदायत दी थी परन्तु संसद में स्वास्थ्य मन्त्री ने कोरोना संक्रमण के अगले उत्सर्जन ‘ओमीक्रोन’ खतरे से भी देशवासियों को जिस तरह आगाह किया उससे स्पष्ट होता है कि किसी भी नागरिक को इस बारे में लापरवाह होने की जरूरत नहीं है। सावधानी के तौर पर फिलहाल ‘बूस्टर डोज’ की आवश्यकता को स्वास्थ्य मन्त्री ने नकार दिया और कहा कि इस बारे में देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा रखना चाहिए और उनकी सलाह के अनुरूप ही अगले कदम उठाये जाने चाहिए।
भारतीय वैज्ञानिक ओमीक्रोन को लेकर गहन चिकित्सीय जांच-परख व अध्ययन कर रहे हैं। मगर देश में बने कोरोना कार्यदल के प्रमुख डा. एन.के. पाल का कहना है कि ओमीक्रोन संक्रमण के उत्सर्जन की घटनाओं को देखते हुए बहुत जरूरी है कि देशवासी मास्क लगाने पर कोई कोताही न बरतें और इसे अपनी सामान्य जीवनशैली का अंग बनाये। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर आने से पहले पिछले मई महीने से पहले लोगों ने मास्क लगाने पर ढिलाई बरतनी शुरू कर दी थी उसके बाद ही दूसरी लहर आयी थी। यही स्थिति फिलहाल बनी हुई है। आम लोग मास्क को लेकर लापरवाह हो रहे हैं जो किसी भी तरह उचित नहीं है। मुसीबत सिर पर पड़ जाने पर ही मास्क लगाने से पहले ही हमें इसे अपनी जीवनशैली में शामिल कर लेना चाहिए क्योंकि डा. पाल के अनुसार मास्क ऐसी सामाजिक वैक्सीन या टीका है जो किसी भी संक्रमण के लिए प्रतिरोधी औजार का काम करती है। इसे संक्रमण से डर कर नहीं बल्कि सामान्य परिस्थितियों में ही अपनाना बेहतर रणनीति होती है जिससे कोरोना के किसी भी उत्सर्जन (वेरियंट) की तीव्रता को कम किया जा सके। यह हकीकत है और इसमें किसी प्रकार की शंका के लिए कोई जगह इसलिए नहीं है क्योंकि विगत मई महीने में जब कोरोना की दूसरी लहर चलने पर आम आदमी ने मास्क लगाना शुरू किया तो संक्रमण के मामले अगस्त महीने से कम होने लगे और धीरे-धीरे कोरोना की भयावहता में कमी आने लगी। मगर अब ओमीक्रोन की दस्तक के बाद दिसम्बर महीने में फिर वही स्थिति है। लोगों ने मास्क को तिलांजिली देना शुरू कर दिया है। इस आदत को बदलने की सख्त जरूरत है।
बेशक अभी तक ओमीक्रोन के पूरे देश में केवल 33 मामले ही आये हैं परन्तु इस संक्रमण के बारे में अभी तक वैज्ञानिकों को ज्यादा जानकारी नहीं है और वे इसकी तीव्रता व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होने वाली संवाहन क्षमता का चिकित्सीय विश्लेषण व अध्ययन कर रहे हैं अत: इस अन्तराल अवधि में मास्क लगा कर हम किसी भी संभावित विभीषिका को यदि टाल नहीं सकते तो न्यूनतम बनाने में अपना योगदान कर सकते हैं। मगर यह कार्य राज्य स्तर से ही इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे देश के प्रत्येक जिले में ग्रामीण स्तर तक यह सन्देश जाये कि मास्क कोरोना के खिलाफ एक ‘सामाजिक दवाई’ है। इसे इस तथ्य की रोशनी में देखा जाना चाहिए कि अभी तक ओमीक्रोन के खिलाफ वैक्सीन की प्रतिरोधी क्षमता की कोई जांच नहीं हुई है अत: उन लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत होगी जिन्होंने कोरोना वैक्सीन दो बार लगवा ली है। इसके साथ हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने की खबरें आ रही हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ओमीक्रोन विश्व के 57 देशों में पहुंच चुका है लेकिन इन आंकड़ों से डरने की जरूरत बिल्कुल नहीं है क्योंकि ओमीक्रोन के लक्षणों और प्रभाव व तीव्रता का अध्ययन अभी जारी है। इस सम्बन्ध में फिजूल अफवाहों पर भी ध्यान देने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय वैज्ञानिक इस मोर्चे पर पूरी तरह सावधान हैं और देश को उनकी योग्यता व दक्षता पर पूरा भरोसा है।
हालांकि विगत शुक्रवार को ही संसद में गृह मन्त्रालय की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए हिदायत दी है कि सरकार को कोरोना उत्सर्जन के विभिन्न संक्रमणों के मद्देनजर ‘बूस्टर डोज’ लगाये जाने के बारे में सोचना चाहिए और देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक को कोरोना के दो टीके लगाये जाने की प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए। इसके लिए घर-घर जाकर टीका लगाये जाने की पद्धति अपनाई जानी चाहिए। राज्यसभा के कांग्रेस सांसद श्री आनन्द शर्मा की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने सिफारिश की है कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए और इसकी लपेट में गैर टीकाकृत जनसंख्या विशेषकर बच्चों के आने की कथित संभावनाओं को देखते हुए प्रत्येक राज्य में कोरोना से मुकाबला करने का स्वास्थ्य ढांचा मजबूती के साथ खड़ा रहना चाहिए। अत: किसी भी आशंका का मुकाबला करने का प्राथमिक उपाय मास्क लगाना और इसे जरूरी बनाना होना चाहिए।
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