पटना/छपरा। बिहार में इन दिनों डोमिसाइल नीति (स्थानीय निवासी) की खूब चर्चा हो रही है। पिछले कुछ सालों से राज्य के छात्र ये मांग कर रहे थे कि शिक्षक भर्ती में बिहार के छात्रों को प्राथमिकता दी जाए। अब चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने यह मांग मान ली है। मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग में इस फैसले पर मुहर लगा दी गई। इसका सीधा फायदा बिहार के युवाओं को मिलेगा जो राज्य में ही पढ़े-लिखे हैं और यहीं नौकरी करना चाहते हैं। डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद से लोग इस नियम के बारे में विस्तार से जानना चाह रहे हैं। तो आईए आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर कैसे और किसको मिलेगा इसका लाभ। क्या इसमें कोई शर्तें भी हैं।
डोमिसाइल नीति का मतलब क्या है?
डोमिसाइल नीति का मतलब है – राज्य में रहने वालों को नौकरी में प्राथमिकता देना। इस नियम के मुताबिक, अगर कोई छात्र बिहार के स्कूल या कॉलेज से मैट्रिक (10वीं) या इंटर (12वीं) पास किया है, तो उसे शिक्षक की नौकरी में फायदा मिलेगा।
डोमिसाइल नीति का मतलब है – राज्य में रहने वालों को नौकरी में प्राथमिकता देना। इस नियम के मुताबिक, अगर कोई छात्र बिहार के स्कूल या कॉलेज से मैट्रिक (10वीं) या इंटर (12वीं) पास किया है, तो उसे शिक्षक की नौकरी में फायदा मिलेगा।
शिक्षा विभाग ने जारी किया अधिसूचना
शिक्षा विभाग के द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक विद्यालय अध्यापक के पद नियुक्ति हेतु कुल रिक्त पदों का 40 प्रतिशत पद बिहार राज्य के अन्दर अवस्थित शैक्षणिक संस्थानों से मैट्रिक अथवा इंटरमीडिएट उर्तीण अभ्यर्थियों के द्वारा भरा जाएगा। परन्तु 40 प्रतिशत रिक्तियों के विरूद्ध तदनुसार योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने पर ऐसी शेष रिक्तियाँ 60 प्रतिशत रिक्तियों के लिए अर्हता प्राप्त कोटि के योग्य अभ्यर्थी द्वारा भरी जा सकती है। विशेषज्ञों की माने तो अध्यापक नियुक्ति में बिहार से मैट्रिक अथवा इंटरमीडिएट करने वाले छात्रों को रिक्त सीटों के 40 फीसद हीं डोमिसाइल का लाभ दिया जाएगा।


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