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खेतों में दो सेमी पानी में, दो सेमी गहराई में, दो धान के पौधे की करे रोपनी, अच्छी होगी पैदावार, डेढ़ गुणा अधिक होगी उपज

खेतों में दो सेमी पानी में, दो सेमी गहराई में, दो धान के पौधे की करे रोपनी, अच्छी होगी पैदावार, डेढ़ गुणा अधिक होगी उपज

  • 2 सेमी की गहराई में ही करे धान की रोपनी, अधिकतम दो पौधे का ही करें रोपनी

कशिश भारती।छपरा

जिले में मॉनसून इसबार अपने शबाब पर है। विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि औसतन वर्षापात से अधिक बारिश होने की संभावना है। अभी तक औसतन वर्षापात से करीब 250 मीली मिटर अधिक बारिश हुई है। इस सूरत में धान की अच्छी पैदावार होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। किसान अगर संयमित होकर आधुनिक तकनिक से खेती करे तो पारंपरिक खेती के तूलना में करीब डेढ़ गुणा अधिक पैदावार हासिल कर सकते है। किसानों को अपने फसल के उपज बढ़ाने के लिए ज्यादा मेहनत व खर्च करने कि जरूरत नहीं है। बल्कि किसानों को फसल बुआई के समय ही थोड़ा ध्यान देने की जरूरत होगी। अभी खरीफ फसल के तहत धान की रोपनी का कार्य चल रहा है। किसानो अगर नई तकनीक से खेती करे तो निश्चित ही फसल की उत्पादकता में वृद्धि होगी। जानकारी के अनुसार धान की रोपनी के समय थोड़ी सावधानी बरतें। जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल की माने तो अगर किसान धान की रोपनी के समय खेतों में मात्र दो सेमी ही पानी रखें। जिससे खेतों मे कहीं पानी लगा हो व कहीं पानी नहीं लगा हो प्रतित हो उस समय ही धान की रोपनी करें। वहीं ध्यान देने योग्य बात है कि धान की रोपनी अधिकतम महज दो सेमी की गहराई में ही करें। साथ ही अधिकतम दो पौधे का ही रोपनी करें। इस तरह से धान की रोपनी करने पर पारंपरिक तरीके से खेती की तूलना में फसल काफी अच्छी होती है तथा करीब डेढ़ गुण अधिक उपज होती है। बता दें की इस वर्ष 83 हजार हेक्टेयर धान की रोपनी का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य के अनुरूप धान की उत्पादन के लिए कृषि विभाग कर्मी भी किसानों को श्री विधि से खेती करने का सलाह दे रहे है। इसको लेकर जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने बताया कि अगर किसान खेतों में दो सेमी पानी में, दो सेमी गहराई में अधिक से अधिक धान के दो पौधे का ही रोपनी करें। इस तकनीक से खेती करने पर धान के पौधे को विकसित होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। वहीं धान के एक पौधे से करीब 70 से 80 किले निकलेंगे। जब धान के पौधो में अधिक किले निकलेंगें तो निश्चित ही फसल की अच्छी पैदावार होगी व उत्पादन भी बढ़ेगा। ऐसे में किसान कम खर्च में अपने खेतों की पैदावार बढ़ा सकते है। जानकारी के अनुसार डीएओ ने सभी कृषि समन्वयक, प्रखंड तकनिकी प्रबंधक, सहायक तकनिकी प्रबंधक, किसान सलाहकारों को इस तकनीक से खेती कराने का निर्देश दिया है। जिससे धान की फसल का अधिक उपज किया जा सके।

क्या कहते है अफसर-

जिले के किसान धान की रोपनी में थोड़ी सावधानी बरते तो अच्छी उपज की जा सकती है। धान की रोपनी मात्र दो सेमी पानी में दो सेमी गहराई में अधिकतकम दो पौधे की रोपनी करे। इससे पौधे को फैलने के लिए उचित समय व जगह मिलता है। इस तकनीक से धान की रोपन करने पर पारंपरीक तरीके से खेती की तूलना में करीब डेढ़ गुणा अधिक उपज होती है।

जयराम पाल, जिला कृषि पदाधिकारी, सारण।

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