लेखक अहमद अली। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। आज के कलाकारों को सफदर हाशमी से प्रेरणा लेनी चाहिये जिन्होंने कला की महत्ता को समझते हुए इसे समाज के प्रति पूर्णतः उत्तरदाई बनाया।”कला केवल कला के लिए ही नहीं बल्कि कला समाज के लिये” ये उनका सांस्कृतिक क्षेत्र का खोजपूर्ण नारा था , जो आज सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने वालों के लिये एक सबक है।सफदर हाशमी, उत्तर प्रदेश के झंडापुर में अपने द्वारा लिखित नुक्कड़ नाटक “हल्ला बोल” की प्रस्तूती के दौरान ही शहीद कर दिये गये।हल्ला बोल नाटक मूलतः मजदूरों, गरीबों और शोषित पीड़ित अवाम को संगठित करने पर आधारित है।आज, खास करके भोजपूरी के गायकों और गीतकारों को जिन्होंने सांस्कृतिक क्षेत्र में बाजारीकरण ला दिया है, सफदर से शिक्षा लेना चाहिये जिन्होने कला के लिये अपनी जान भी गँवा दी लेकिन सांस्कृतिक जगत को प्रदूषित होने नहीं दिया। उपरोक्त बातें मुख्य वक्ता के रुप में अहमद अली ने सफदर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कही। जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा द्वारा आयोजित समारोह की अध्यक्षता तसलीम तनहा ने किया और मार्गदर्शन मोर्चा के संयोजक बीरेन्र्द सिंह ने किया। प्रो० दीनेश पाल ने अपने ओजस्वी सम्बोधन में कला को जनजागरण का एक सशक्त माध्यम बताया।उन्होंने युवाओं को कला- प्रदूषण के विरुद्ध आगे आने का आह्वान भी किया।उन्होंने सरकार के कला एंव सांस्कृतिक विभाग से भी अनुरोध किया कि कला के क्षेत्र में व्याप्त अपसंस्कृति को दूर करें। समारोह का मुख्य आकर्षण शिक्षक नेता उदयशंकर गुड्डूजी द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी गीत थे ।उन्होने अपने गीतों के माध्यम से जनजागरण का एक नया संदेश दिया। मुख्य वक्ताओं में छात्र नेता सरताज खाँ युवा नेता विकास तिवारी, छात्र नेता शादाब मजहरी, तसौवर हुसैन, बीरेन्र्द सिंह, उमेश यादव, एस० एन० रावत, रतन सिंह आदि थे।
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