प्रो0 संजय पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग द्वारा जेपीयू के सीनेट हॉल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसका विधिवत उद्घाटन जेपीयू के कुलपति प्रोफेसर फारूक अली एवं मुख्य वक्ता निदेशक मानविकी व विज्ञान संस्थान महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के प्रोफेसर मनोज कुमार एवं विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया साथ ही जेपीयू के कुलदेवता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के तैल चित्र पर माल्यार्पण भी किया गया। इस एक दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन जेपीयू के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के द्वारा किया गया था। जिसका मुख्य विषय था इतिहास और ज्ञान एक राजनीतिक विश्लेषण जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में निदेशक मानविकी व विज्ञान संस्थान महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के प्रोफेसर मनोज कुमार ने अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि हम जो व्याख्या करते हैं इतिहास उसी का अध्ययन करता है। इतिहास तथ्यों की सवारी करता है। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण के साहित्य से गुजरे हुए कई धाराएं निकल सकती है। श्री कुमार ने यह भी कहा कि मैंने गांधी को समझने के लिए नेहरू तथा लोहिया को भी समझने की कोशिश की । आधुनिक इतिहास गांधी की उस सभ्यता को चुनौती दी थी । 1974 के मुद्दे पर उन्होंने बात करते हुए कहा कि इस पीरियड में भ्रष्टाचार, शिक्षा, लड़ाई इत्यादि मुद्दे थे तो 1991 के बाद पूंजी ने अलग द्वार से प्रवेश किया। मरे हुए तथ्य से भी इतिहास पैदा होता है। समाचार पत्रों पर उन्होंने बोलते हुए कहा कि समाचार पत्र का कार्य लोगों की भावना को जानना उसको प्रकट करना और उसे लोगों के बीच ले जाना होता है। उक्त बातें उन्होंने महात्मा गांधी के संदर्भ में कही। वही श्री कुमार ने कल्टीवेटर थ्योरी की भी बात की। मीडिया एवं पब्लिक के एजेंडे के बीच संबंध पर बोलते हुए उन्होंने कहां की मानवता विहीन परमेश्वर की कल्पना नहीं की जा सकती। सत्ता में पूंजी बैठी है । सत्ता उसकी चौकीदारी कर रही है। प्रोफेसर कुमार 1968 में विनोबा ने आचार्य कुल की बात की। उन्होंने कहा कि हमें इतिहास को अपने आईने से देखने की कोशिश करनी चाहिए। उक्त विशिष्ट व्याख्यान कार्यक्रम का अध्यक्षता जेपीयू के कुलपति प्रोफेसर फारूक अली के द्वारा की गई अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने कहा कि बराबर चर्चाएं होनी चाहिए। हम सभी लक्ष्य विहीन है 1 दिन से तैयारी नहीं होती। आजादी के बाद हम लक्ष्य विहीन हो गए हैं। हमें प्राथमिकता निर्धारित करनी पड़ेगी। यूनान मिश्र सब मिट गए। कुछ बात तो होगी जो हस्ती मिटती नहीं हमारी। वही धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर हरीश चंद्र ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कॉमर्स के डीन प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह, स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद रजा, गंगा सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आदित्य चंद्र झा, इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधीर कुमार सिंह, प्रोफेसर रामफेर, डॉक्टर देवांशु कुमार, प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रोफेसर नवी, डॉक्टर रितेश्वर नाथ तिवारी, डॉक्टर राजेश्वर प्रसाद, डॉ धनंजय आजाद एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारी तथा छात्र उपस्थित थे।
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