- सिविल सर्जन ने चमकी बुखार तथा मलेरिया के बारे में दी जानकारी
- बच्चों को भूखे पेट नहीं सोने दें, रात में भरपेट भोजन करायें
- वर्ष 2022 में अबतक नहीं आया है एईएस—जेई का मामला
जहानाबाद (बिहार)। विश्व मलेरिया दिवस तथा एईएस जेई के प्रति आमजन में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च तथा जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा जिला स्वास्थ्य समिति सभागार कक्ष में मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्धाटन सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार चौधरी ने किया। इस दौरान उनके साथ जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ब्रज कुमार, एसएमओ विश्व स्वास्थ्य संगठन, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी मनीष कुमार, वेक्टर जनित रोग सलाहकार निशिकांत, जिला एपीडेमीयोलॉजिस्ट आलोक कुमार, एसएमसी यूनिसेफ रूद्र कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक नंदन, सदर अस्पताल की जीएनएम तथा एएनएम एवं विभिन्न अखबारों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार मौजूद रहें तथा मौजूद थीं।
वेक्टर जनित रोगों के प्रति जागरूकता जरूरी:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि जिला में मलेरिया जांच तथा दवाई आदि सभी प्रकार की व्यवस्था मौजूद है. यदि किसी को बुखार होता है तो नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर वह तुरंत मलेरिया जांच कराये. इसके साथ ही एईएस—जेई पर चर्चा कर बताया कि यह एक गंभीर बीमारी है जो अत्यधिक गर्मी के मौसम में होता है. इससे एक से 15 साल तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
बच्चों को बुखार के साथ मांसपेशियों में अकड़न होती है. इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाया जाना जरूरी है.
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि आमभाषा में एईएस—जेई को चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. सरदर्द, तेज बुखार आना, बेहोशी, शरीर में चमकी होना या हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना तथा बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना आदि होते हैं. इसके लक्षणों की पहचान कर आवश्यक इलाज कराया जाना चाहिए.
बच्चों को भूखे पेट नहीं सोने दें:
एपीडेमीयोलॉजिस्ट आलोक कुमार ने बताया कि बच्चों को रात में सोते समय बच्चों को भरपेट खाना खिलायें. बच्चों को भूखे पेट बिल्कूल नहीं सोने दें. अपने बच्चे को तेज धूप से बचायें. गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी चीनी का घोल पिलायें. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक नंदन ने कहा कि अमूमन चमकी बुखार के मामले उन जगहों से ज्यादा आते हैं जहां पर सुअर पालन होता है. इसमें जेई परजीवी अधिक होते हैं. सुअर के बाड़े को घर से दूर रखना चाहिए.
वर्ष 2022 में अब नहीं आया कोई मामला:
वीबीडीसी कंसल्टेंट निशिकांत ने बताया कि वर्ष 2022 में अबतक एईएस जेई के कोई मामले नहीं आये हैं. वर्ष 2021 में कुल 12 मामले सामने आये थे. इसमें पांच मरीज जेई के थे. इसमें दो मरीजों की मौत हो गयी. वहीं सात मरीज एईएस के थे जिसमें दो मरीज की मौत हो गयी. एईएस—जेई के कई प्रकार के जेई क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. एईएस होने के कई कारण हो सकते हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है कि घर सहित आसपास की जगहों की पूरी साफ सफाई करते रहें.
चमकी को धमकी:
- बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलायें
- सुबह उठते ही बच्चों को भी जगायें.
- देखें बच्चा कही बेहोश या उसे चमकी तो नहीं.
- बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत नजदीकी अस्पताल लें जायें.


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