- स्वास्थ्य, शिक्षा व आईसीडीएस के अधिकारी तालमेल बना जिला को एनीमिया से दिलायें मुक्ति
- स्वास्थ्य विभाग से दवाई प्राप्त कर लक्षित समूहों को आयरन की दवा सेवन सुनिश्चित करायें
राष्ट्रनायक न्यूज।
गया (बिहार)। अप्रैल 2018 में पोषण कार्यक्रम के तहत एनीमिया मुक्त भारत अभियान लॉन्च किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिवर्ष तीन प्रतिशत तक एनीमिया पीड़ित लोगों की संख्या में कमी लानी है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा धात्री महिलाओं में एनीमिया को कम करना है। एनीमिया को कम कर मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। यदि गर्भवती महिलाओं में शुरुआती दौर में ही एनीमिया को दूर किया जा जाये तो प्रसव संबंधी जटिलताओं में कमी लायी जा सकती है। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत छह माह से 59 माह के शिशु, पांच साल से दस साल के बच्चे, दस से 19 वर्ष के किशोर व किशोरियां तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनीमिया दूर करने के लिए आयरन व फॉलिक एसिड टैबलेट व सिरप मौजूद है। इसके लिए जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग तथा आईसीडीएस समन्वय के साथ काम करें ताकि ये दवाइयां उनतक पहुंच सकें तथा लक्षित समूह को इसका सेवन सुनिश्चित करायी जा सके। ये बातें दो दिवसीय एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने विभिन्न प्रखंडों के बीसीएम, बीएचएम, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, बीआरपी तथा सीडीपीओ को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षक, बीआरपी तथा शिक्षा विभाग के अन्य कर्मचारी व आईसीडीएस के प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक दवाई प्राप्त करने व इसका सेवन सुनिश्चित करायें।
मांग व आपूर्ति के साथ नियमित अनुश्रवण महत्वपूर्ण:
प्रशिक्षण के दौरान मौजूद जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार से कहा कि आयरन की टैबलेट व सिरप की मांग व आपूर्ति के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी जाये। मांग और आपूर्ति के साथ इसके सेवन के लिए अनुश्रवण किया जाना भी जरूरी है। हर प्रखंड में स्कूल में दवाई की मांग कितनी है इसकी सूचना प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दें। डिस्ट्रब्यूशन प्लान बना कर आयरन व फॉलिक एसिड दवाइयों का वितरण करना है। कहा कि इसकी रिपोर्ट तथा अनुश्रवण कार्य भी जरूरी है। प्रत्येक माह प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा आइसीडीएस अधिकारी रिव्यू मीटिंग जरूर करें। दवाइयां लक्षित समूहों तक जरूर पहुंचे तथा इसका सेवन सुनिश्चित कराने में विभागों का समन्व्य आवयश्क है। साथ ही प्रखंडवार खपत का प्रतिवेदन शिक्षा तथा आईसीडीएस अधिकारी द्वारा दिया जाये ताकि दवाइयों की उपलब्धता स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुनिश्चित करायी जा सके।
14 लाख बच्चों को किशोरियों को दी जानी है दवा:
जिला में 14 लाख बच्चों को आयरन व फॉलिक एसिड की दवाइयां देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनमें छह माह से 5 साल के 5.9 लाख बच्चे, कक्षा एक से पांच तथा नामांकित 4 लाख बच्चे, कक्षा छह से आठ तक 3.8 लाख बच्चे, तथा स्कूलों से बाहर 23 हजार किशोरियों को दवा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान यूनिसेफ से डॉ तारीक, डॉ संदीप घोष, डॉ श्वेता, आईसीडीएस डीपीओ सुचि स्मिता पद्म, डीएचएस से बिनय कुमार तथा अन्य मौजूद थे।
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