राष्ट्रनायक न्यूज

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ग्रामीण क्षेत्रों की एएनएम, जान जोखिम में डालकर देती हैं स्वास्थ्य सेवाएं:

  • जिंदगी को दाव पर लगाकर करती हैं टीकाकरण: एएनएम किरण कुमारी
  • साइकिल वाली दीदी के नाम से मिली पहचान:
  • प्रशिक्षित होने के बाद आता कार्यो में निखार:

पूर्णिया (बिहार)। सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न तरह के कार्यक्रमों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जितनी सहभागिता रहती उससे कही ज़्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाली ऑक्जिलरी नर्स मिडवाइफ (एएनएम) दीदियों की भूमिका रहती है। स्वास्थ्य विभाग के तहत चलाये जा रहे देश के सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य एवं मैटरनिटी केंद्रों, स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी परियोजनाओं सहित वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान संक्रमित मरीज़ों की सेवा सहित टीकाकरण में महत्वपूर्ण भूमिका पूर्णिया ज़िले के बाढ़ प्रभावित  अमौर प्रखंड की एएनएम किरण कुमारी ने भूमिका निभाई है।रेफ़रल अस्पताल अमौर में कार्यरत 47 वर्षीय एएनएम किरण कुमारी ने बताया कि वर्ष 2009 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैसा में पदस्थापित हुई थी। लेकिन 6 वर्षो के बाद स्थायी रूप से रेफ़रल अस्पताल अमौर में उनकी पदस्थापना हो गई। उसके बाद से लगातार क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में भ्रमण कर वह स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित तमाम योजना एवं कार्यक्रम में पूरी तन्मयता के साथ कार्य करती आ रही हैं। वह कहती हैं कि स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी कार्यक्रम की सफ़लता के पीछे हम जैसी एएनएम की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग में सबसे निचले स्तर पर हमलोगों की जवाबदेही बढ़ जाती है।

जिंदगी को दाव व पर लगाकर करती हैं टीकाकरण: एएनएम किरण कुमारी

रेफ़रल अस्पताल अमौर के अंतर्गत रंगरैया गांव स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र में कार्यरत एएनएम किरण कुमारी ने बताया कि रंगरैया लाला टोली पंचायत के अंतर्गत लगभग 13 हजार की आबादी है। वह इन सभी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निभा रही हैं। पोषक क्षेत्र के अंतर्गत भगताहिब गांव चारों तरफ से जलमग्न रहता है। इन क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 08, 9, 11, 12 एवं 13 के नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित देखभाल करने के लिए महानंदा नदी पार कर जाना पड़ता है। हालांकि क़भी-कभी नाव नहीं मिलने के कारण जान जोखिम में डाल कर जुगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत बनाए गए नाव के सहारे नियमित टीकाकरण या कोविड-19 टीकाकरण के लिए जाना पड़ता है। क्योंकि बच्चे  ही देश के भविष्य होते हैं। अगर हम उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करेंगे तो देश का विकास रुक जाएगा। जिस कारण अपनी जिंदगी को दाव पर लगाकर वह उनलोगों की सेवा करती हैं।

साइकिल वाली दीदी के नाम से मिली पहचान:

पुरानी यादों को ताजा करते हुए वह कहती हैं  कि एक बार नाव से उस पार टीकाकरण करने के लिए जा रही थी तभी अचानक पानी में नाव पलट गई और मैं उसमें  गिर गई। जिससे टीकाकरण वाला बॉक्स, कपड़ा एवं मोबाइल पानी में गिर गया। हालांकि जल्द ही स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा मुझे  बचा लिया गया। सबसे अहम बात यह है कि नाव पर चढ़ते समय भगवान एवं गंगा मैया  के सामने नतमस्तक हो कर विनती करती हूं कि अब मेरी जिंदगी आपके हवाले है। क्योंकि मेरे साथ कई नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं के साथ ही हजारों ग्रामीणों की सेवा करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा सौंपी गई है। कहीं भी जाना पड़ता है तो घर परिवार के सभी सदस्यों का भरपूर सहयोग मिलता है। क्षेत्र भ्रमण के लिए उन्हें साइकिल की सवारी पसंद है। उन्होंने बताया कि मेरे साथ घर परिवार के अन्य सदस्य सहयोग के लिए रहेंगे तो उनलोगों को अपना काम करने में काफी कठिनाई होगी। जिस कारण खुद साइकिल चलाकर घर-घर जाकर दुःख एवं सुख में भागीदारी सुनिश्चित करती हूं। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग साइकिल वाली दीदी के नाम से पुकारते हैं।

प्रशिक्षित होने के बाद आता कार्यो में निखार: किरण कुमारी

किरण आगे बताती हैं  कि बैसा स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा परिवार नियोजन में बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया है। कहा कि मुझे क्षेत्र की जनता की सेवा करना अच्छा लगता है। नियमित टीकाकरण, कोविड-19 टीकाकरण, प्रसव पूर्व जांच (एएनसी), कंगारू मदर केयर (केएमसी) एवं वीएचएनडी के साथ ही स्वास्थ्य उपकेंद्र रंगरैया के दवा वितरण का कार्य भी करती हूं। आंगनबाड़ी केंद्रों या गर्भवती महिलाओं को टीकाकृत करने के लिए केयर इंडिया, यूनिसेफ़ एवं डब्ल्यूएचओ के द्वारा अमानत, एसबीए, आईएनसी, नियमित टीकाकरण के अलावा नवजात शिशुओं में संक्रमण से बचाव से संबंधित प्रशिक्षण मिलने के बाद  काम में और ज़्यादा निखार आ जाता है।