राष्ट्रनायक न्यूज

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राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन:

  • शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले ही समाप्त करना प्राथमिकता: सीएस
  • टीबी को जड़ से मिटाने में निजी चिकित्सकों की अहभ भूमिका: सीडीओ
  • पूर्णिया सहित पांच अन्य जिलों में चल रहा है जीत 2.0 कार्यक्रम: रंजीत

पूर्णिया (बिहार)। आगामी 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसको लेकर वर्ल्ड विज़न इंडिया द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत सतत चिकित्सा शिक्षा(सीएमई) का आयोजन शहर के एक निजी होटल में किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार एवं जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मोहम्मद साबिर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ महम्मद साबिर, जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार, डीपीएम राजेश कुमार शर्मा एवं डॉ ख्वाजा नसीम अहमद सहित कई अन्य चिकित्सक और संस्था के लोग उपस्थित थे।

शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले ही समाप्त करना प्राथमिकता : सीएस

सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा टीबी से संबंधित जानकारियों के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-116666 जारी किया गया है। जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति मात्र एक मिस कॉल से टीबी बीमारी से संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, देश में सबसे गंभीर बीमारी समझी जाने वाली टीबी (क्षय रोग) के इलाज में अब मोबाइल फोन की सहायता ले रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के पास मोबाइल फोन की उपलब्धता हो गई है। यही कारण है कि विभागीय स्तर पर एक टॉल-फ्री नंबर जारी किया गया है। प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रिवेंटिव ट्रेटमेंट (पीएमटीपीटी) के तहत लेटेंट टीबी इंफैक्शन वाले मरीज को चिन्हित कर उन्हें टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ा जाएगा। ताकि उनके शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले ही समाप्त कर दिया जाए। जिससे टीबी फैलाव के चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी। जो टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काफी सहायक होगा।

टीबी को जड़ से मिटाने में निजी चिकित्सकों की अहभ भूमिका: सीडीओ

जिला संचारी रोग पदाधिकरी डॉ मोहम्मद साबिर ने बताया कि इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन वर्ल्ड विज़न इंडिया (जीत 2.0) की ओर से किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत ज़िले के सभी प्रखंड में लेटेंट ट्यूबरक्लोसिस इंफेक्शन (एलटीबीआई) समन्यवक की नियुक्ति की गई है। जो अपने-अपने प्रखंडों के वरीय उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) के साथ मिल कर प्रारंभिक काल के दौरान टीबी मरीजों के घर जाकर उनके साथ रह रहे परिवार के सभी सदस्यों का कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग करेंगे। वैसे मरीज को चिन्हित करेंगे, जिनमें एक्टिव टीबी का कोई लक्षण नहीं हो। इसके बाद वैसे मरीज को टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ कर उन्हें लगातार 6 महीनें तक आइसोनियाजाइद दवा खिलाई जायेगी। ताकि लेटेंट टीबी इंफेक्शन को जड़ से समाप्त किया जा सकें। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि ज़िले के सभी निजी चिकित्सक भी इस मुहिम में शामिल होकर टीबी जैसी बीमारी से बचाव में सहयोग करेंगे।

पूर्णिया सहित पांच अन्य जिलों में चल रहा है जीत 2.0 कार्यक्रम: रंजीत

वर्ल्ड विज़न इंडिया के जिला समन्वयक रंजीत कुमार ने बताया कि टीवी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 आयु वर्ग से ऊपर के बच्चों का एक्सरे करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। जीत 2.0 कार्यक्रम राज्य के 5 जिलों यथा: दरभंगा, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी और सारण में चलाया जा रहा है। कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग के दौरान टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 05 आयु वर्ग के छोटे-छोटे बच्चे को चिकित्सकों के द्वारा लिखी गई दवा आइसोनियाजाइद और 05 आयु वर्ग के ऊपर के लोगों को एक्सरे के बाद आइसोनियाजाइद दवा छः महीनें तक लगातार खिलाया जाएगा। ताकि टीबी संक्रमण का फैलाव जड़ से खत्म किया जाए।