राष्ट्रनायक न्यूज।
पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी। अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा) ज्ञानेश त्रिपाठी के निर्देशन पर वाराणसी मंडल के राजभाषा विभाग द्वारा मंडल कार्यालय के राजभाषा वाचनालय में शिक्षक दिवस के अवसर पर वाक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ राजभाषा अधिकारी सह सहायक मंडल संरक्षा अधिकारी विजय प्रताप आर्या द्वारा डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। तदुपरान्त मंडल कार्यालय पर कार्यरत कर्मचारियों द्वारा डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में राजभाषा अधिकारी विजय प्रताप आर्या ने डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 05 सितम्बर,1888 में तमिलनाडू के तिरुवल्लुर जिले में जन्मे डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 — 1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। डा साहब भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। डॉ॰ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबन्धन करना चाहिए। ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में दिये अपने भाषण में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था- “मानव को एक होना चाहिए। मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति तभी सम्भव है जब देशों की नीतियों का आधार पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना का प्रयत्न हो।” डॉ॰ राधाकृष्णन अपनी बुद्धि से परिपूर्ण व्याख्याओं, आनन्ददायी अभिव्यक्तियों और हल्की गुदगुदाने वाली कहानियों से छात्रों को मन्त्रमुग्ध कर देते थे। उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारने की प्रेरणा वह अपने छात्रों को भी देते थे। वह जिस भी विषय को पढ़ाते थे, पहले स्वयं उसका गहन अध्ययन करते थे। दर्शन जैसे गम्भीर विषय को भी वह अपनी शैली से सरल, रोचक और प्रिय बना देते थे। इसलिये इनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाते है । राजभाषा अधिकारी ने कहा की एक समाज में शिक्षक का क्या महत्व होता है और समाज की शिक्षक से अपेक्षाएं होती हैं की वो समाज की भावी पीढ़ी को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने में सहायता करे। शिक्षक के महत्व को उजागर करते हुए उन्होंने कहा की वर्तमान के कलुषित जीवन में शिक्षक भूमिका और अधिक बढ़ गयी है। इस अवसर पर आयोजित वाक प्रतियोगिता में मंडल कार्यालय के कर्मचारियों ने बढ़- चढ़ कर भाग लिया। वाक प्रतियोगिता में मंडल पर कार्यरत कर्मचारियों संजय गुप्ता, विकास केसरी, सुरेन्द्र यादव,पूनम त्रिपाठी, किरन कुमारी, कीर्ति श्रीवास्तव, ममता यादव एवं शिवानी सिंह ने शिक्षक दिवस की महत्ता बताते हुए अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन मनोज कुमार दूबे राजभाषा अधीक्षक ने किया।


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