राष्ट्रनायक न्यूज

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आलू के कुफरी पोखराज व कुफरी कंचन बीज की बुआई करने पर नहीं होगा पाला व झुलसा बीमारी, एक हेक्टेयर में 350 से 400 क्विंटल होगी उपज

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण)। सब्जियों के राजा कहे जाने वाले आलू की खेती किसानों ने शुरू कर दी है। लेकिन अधिकतर किसान पारंपरिक बीजों से ही आलू की खेती कर रहे है। जानकारी के अनुसार कृषि में उत्पादन बढ़ाने में बीज सबसे सस्ता व महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। पारंपरिक तरीके से आलू की खेती करने में प्रयोग किए जाने वाले बीजों के अपेक्षा उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज के व्यवहार से आलू की फसलों में करीब 50 फीसद अधिक पैदावार होती है। बता दें कि उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन राज्य बीज निगम, सरकारी कृषि प्रक्षेत्रों तथा किसानों के प्रक्षेत्रों में किया जाता है। जिसे राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा ही बीजों को प्रमाणित किया जाता है। ऐसें बीज उन्नत श्रेणी के होते है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो आलू के उन्नतशील आधार बीज से खेती करने पर डेढ़ गुणा अधिक पैदावार होती है। इससे किसानों की आय में वृद्धि संभव है। उन्होंने कहा की आलू के आधार बीज से खेती करने पर उससे हुए पैदावार भी बीज के समान होता है। जिससे अगले तीन सालों तक खेती किया जा सकता है।  आलू केकुफरी पोखराज व कुफरी कंचन बीज से खेती करने पर पाला व झुलसा नामक बीमारी नहीं होती है। जिससे पैदावार अधिक होता है।

क्या है आलू के उन्नत किस्म के कुफरी पोखराज व कुफरी कंचन बीज

आलू के आधार बीजो में कुफरी पोखराज व कुफरी कंचन बीज प्रथम श्रेणी का बीज है। इसकी खेती से प्राप्त उपज भी बीज की श्रेणी में ही आता है। कुफरी पोखराज की फसल 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका फल उजला होता है। वहीं कुफरी कंचन 100 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका फल लाल रंग का होता है। इन दोनों बीजों की बुआई करने पर पाला व झुलसा नामक बीमारी नहीं होती है। इसकी उपज एक हेक्टेयर में 350 से 400 क्विंटल होती है।

आधार बीज से खेती करने पर 50 फीसद अधिक होती है उपज

कृषि में उत्पादन बढ़ाने में बीज सबसे सस्ता व महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। पारंपरिक तरीके से आलू खेती करने में प्रयोग किए जाने वाले बीजों के अपेक्षा उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज के व्यवहार से आलू की फसलों में करीब 50 फीसद अधिक पैदावार होती है। बता दें कि उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन राज्य बीज निगम, सरकारी कृषि प्रक्षेत्रों तथा किसानों के प्रक्षेत्रों में किया जाता है। जिसे राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा ही बीजों को प्रमाणित किया जाता है। ऐसें बीज उन्नत श्रेणी के होते है।