रबी सब्जी की खेती को बढ़ावा देने में फिसडी साबित हो रहा उद्यान विभाग, 5 लाख पौधा वितरण का लक्ष्य, मात्र 22 हजार ही किया वितरण
- एक पौधा का किमत 3 रूपये और किसानों 2.70 रूपये मिलता है अनुदान
छपरा(सारण)। सब्जी की खेती नकदी फसलें है। कृषि में उत्पादन बढ़ाने में बीज सबसे सस्ता व महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। पारंपरिक तरीके से खेती करने में प्रयोग किए जाने वाले बीजों के अपेक्षा उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज का व्यवहार से रबी सब्जियों में किसानों को बेहतर पैदावार उपलब्ध कराने एवं किसानों के आय दोगुणा करने को लेकर सरकार कई परियोजनाएं चला रही है। कृषि विभाग से सम्बद्ध उद्यान विभाग के द्वारा रबी सब्जी के फसलों को बढ़ावा देकर किसानों को नकदी आमदनी बढ़ाने के लिय विभाग ने जिले में करीब 5 लाख रबी सब्जी के उन्नत किस्म के पौधों के वितरण का लक्ष्य दिया है। जिस अभी तक पुरा नहीं किया जा सका है। विभागीय पदाधिकारियों की माने तो अभी तक जिले के विभिन्न प्रखंड में करीब 22 हजार फुल गोबी के पौधे का ही वितरण किया गया है। ऐसे में किसानों के आय दोगुणा करने की बात विभागीय पदाधिकारियों एवं कर्मियों के कार्यशैली से बैमानी साबित हो रही है। इस सिस्टम के सच्चाई को किसानों को समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
एक पौधा का किमत 3 रूपये और किसानों 2.70 रूपये मिलता है अनुदान
जिले में रबी सब्जी के अंतर्गत फुल गोबी, बंदा गोबी, मिर्च समेत विभिन्न प्रकार के सब्जियों के प्रभेदों का पौधा वितरण को लेकर विभाग ने जिला उद्यान कार्यालय को करीब 5 लाख का लक्ष्य दिया है। विभाग ने एक पौधे का किमत तीन रूपये निर्धारित किया है तथा पौधा खरीदने वाले किसानों को एक पौधे पर 2.70 रूपये अनुदान देने का प्रावधान है। ऐसे में किसानों को अनुदानित दर पर एक पौधे का किमत मात्र 30 पैसे है।
योजना की जानकारी के अभाव में 5 रूपये प्रति पौधा खरीदकर किसान कर रहे है रबी सब्जी की खेती
जिले में रबी सब्जी की खेती को बढ़ावा देने को लेकर विभाग द्वारा बेहतर तरीके से प्रचार-प्रसार नहीं करने के कारण किसानों को आर्थिक क्षति उठाना पड़ रहा है। इस बावत दैनिक भास्कर ने रबी सब्जी की खेती करने वाले किसानों से संपर्क किया तो पता चला कि उद्यान विभाग द्वारा चलाये जा रहे कल्याणकारी योजनाओं का पता ही नहीं है। किसान सुरेन्द्र राम, रामबाबू यादव, बालेश्वर पांडेय, नागेन्द्र मांझी, गौतम यादव आदी ने बताया कि रबी सब्जी की खेती करने को लेकर उद्यान विभाग द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं की कोई जानकारी नहीं है और न ही पता है कि अनुदान पर सस्ते दरों पर सब्जी का पौध दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रबी सब्जी की खेती करने के लिए अपने सुविधानुसार जिले के नगरा प्रखंड के पटेढ़ा एवं वैशाली जिले के हाजीपुर चेचर रोड से पांच रूपये प्रति पौधा खरीदकर खेती करते है। जिससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।
नवंबर माह में इल फसलों की होती है बुआई
रबी सब्जियों की बुआई नवंबर तक किया जाता है। इस माह में रबी सब्जी अंतर्गत बैगन, फुल गोबी, पता गोभी, मिर्च, शिमला मिर्च व आलू सहीत कई अन्य प्रकार के फसलों की बुआई की जाती है। साथ ही गेहूं, मटर, मूली, गाजर, पालक, चना, मसूर, सरसो सहित अन्य फसलों की बुआई को लेकर कृषि विभाग के अफसर से लेकर किसान सलाहाकर तक तैयारी में लगे हुए है। लेकिन आश्चर्य कि बात है जिल उद्यान विभाग के पदाधिकारी अभी प्रखंडों से डिमांड ही मांग रहे है। जो रबी सब्जी की खेती को बढ़ाया देने के लिये किये जा रहे कार्य सिस्टम पर बड़ा ही यक्ष प्रश्न है।
सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर वेजीटेबल वैशाली एवं नालंदा के उन्नत किस्म के बीजों के पौधा से बेहतर होता है पैदावार
कृषि विशेषज्ञों की माने तो उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन राज्य बीज निगम, सरकारी कृषि प्रक्षेत्रों तथा किसानों के प्रक्षेत्रों में किया जाता है। जिसे राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा ही बीजों को प्रमाणित किया जाता है। ऐसें बीज उन्नत श्रेणी के होते है। जिले में जिला उद्यान विभाग के द्वारा रबी सब्जी के उन्नत किस्म का पौधा सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स फॉर वेजीटेबल वैशाली एवं नालंदा से अनुदानित दर पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। यहां के उन्नत किस्म के बीजों के पौधा से बेहतर पैदावार होता है। जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. के.के. वर्मा ने बताया के रबी सब्जी की खेती में उन्नत किस्म के प्रमाणित बीजों की बुआई करने से पैदावार अच्छा होता है। अच्छे बीजों में अंकुरण क्षमता अधिक होती है। इससे किसानों को बीज में कम खर्च होता है और अधिक पैदावार भी होती है।
जिम्मेदार बोलें- सभी प्रखंडों के उद्यान पदाधिकारी से मांगा गया है डिमांड
जिला उद्यान पदाधिकारी राजू राउत ने बताया कि रबी सब्जी के लिए 5 लाख पौधे का वितरण का लक्ष्य निर्धारित था। अभी तक 22 हजार पौधे का वितरण किया गया है। जिले के सभी प्रखंडों के उद्यान पदाधिकारी से डिमांड मांगा गया है। डिमांड आने के बाद अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। प्रखंडवार लक्ष्य के बारे में पुछे जाने पर डीएचओ ने बताया कि इसका कोई भी विवरण कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। प्रखंडों के बीएचओ से डिमांड मिलने पर संसाधन के अनुरूप कार्य किया जाता है।


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