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कोरोना ब्रेकडाउन में उन निजी स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों का क्या होगा?

# कैरोना ब्रेक डाउन के कारण न फीस वसूली होगी न वेतन व मानदेय भुगतान

#राणा परमार अखिलेश

दिघवारा (सारण )- कैरोना ब्रेक डाउन से लाॅक अप जिला के दर्जनों पब्लिक स्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों का क्या होगा? न तो अभिभावक फीस अदा करेंगे न वेतन व मानदेय भुगतान ही होगा ।यदि लाॅक डाऊन समाप्त भी होती है तो प्रबंधन हाथ खड़ी कर देंगे ।बहरहाल, सरकार इनकी राहत पर ध्यान नहीं दी तो फिर भुखमरी तय है।

जाहिर है कि जिला मे कई स्कूल सीबीएससी से मान्यता प्राप्त हैं किंतु उनकी निर्भरता विद्यार्थियों की फीस पर ही है। कुछ विद्यालय सर्व शिक्षा अभियान के तहत पंजीकृत हैं । कक्षा 1 से 8 तक लेकिन कोई सरकारी अनुदान नहीं है। यह दीगर बातें हैं कि सीबीएससी मान्यता प्राप्त पब्लिक स्कूल वेतनमान दे रहे हैं । पीआर टी,टीजीटी व पीजीटी के पे स्केल पर कार्यरत शिक्षकों के खाते में वेतन जाता है।अलबत्ता, तयशुदा राशि के अलावा शेष राशि वापसी भी करनी पड़ती है।

जहाँ तक बिहार सर्व शिक्षा अभियान के तहत पंजीकृत विद्यालयों का प्रश्न है? उन्हे तो तयशुदा मानदेय पर ही काम करना पड़ता है। कहीं 2000 से 5000 पर काम करते हैं, शिक्षक तो कहीं 5000 से 10,000 रूपए पर। यद्यपि परिवार चलाने में इन मानदेय राशि की हिस्सेदारी नहीं के बराबर है। कोचिंग, ट्यूशन आदि से अपने परिवार की परवरिश किसी प्रकार कर पाते हैं । इस बीच वर्ष2018 तक अनिवार्य रूप से ट्रेंड टीचर का सरकारी प्रवाधान हुए ।कई निजी पब्लिक स्कूलों के शिक्षकों ने डीएलएड की 18 महीने का कोर्स पास किया । उनकी सोंच थी कि सरकारी नियोजन में उन्हे लाभ मिलेगा । वर्ष 2019 में टीईटी, एसटीईटी परीक्षा पास करने के बाद

जिला परिषद, नगर पंचायत, प्रखंड व पंचायत शिक्षकों के नियोजन की रिक्तियां भी आयीं किंतु डीएलएड प्रशिक्षित आवेदन से वंचित रहे । हाई कोर्ट ने सरकार को निदेशित की किंतु सरकार ने एनसीईआरटी के हवाला देकर 18 माह के डीएलएड कोर्स करने वालों को नियोजन से वंचित कर दिया । जबकि लंबी अवधि तक हड़तालरत रहे शिक्षकों के मानदेय भुगतान का आदेश सरकार ने जारी कर दिया । इतना ही नहीं समान काम और समान वेतन भले ही स्वीकार नहीं किया लेकिन तीन प्रोन्नति की मंजूरी भी देने जा रही है। ऐसे में पब्लिक स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न है। जिनकी आयु सीमा समाप्त है वे बैठे से बेहतर काम कर रहे हैं किन्तु जो डीएलएड प्रशिक्षित हैं, वे क्या करें? हाँ कुछ बीएड या बीटीसी पुनः टीईटी की तैयारी कर रहे हैं । लेकिन वर्तमान शोषण है, भविष्य कैसा होगा? चिंतनीय विषय है।

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