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टीबी के अभिशाप को मिटाने के लिए पंचायतों को लिया जायेगा गोद 

  •  टीबी मुक्त पंचायत की परिकल्पना को साकार करेंगे टीबी चैंपियन
  • टीबी मुक्त वाहिनी के तरफ से दिया गया प्रशिक्षण
  • किन्नर समुदाय को भी किया जायेगा जागरूक

 

छपरा(सारण)। टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है। इसको लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। अब जिले में पंचायत स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने तथा टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने के लिए पंचायतों को गोद लिया जायेगा। टीबी मुक्त वाहिनी संस्था के द्वारा बिहार में 100 पंचायतों को गोद लिया जायेगा। गोद लिये गये पंचायतों में टीबी चैंपियन के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा तथा टीबी के मरीजों को अधिकार दिलाया जायेगा। इसको लेकर टीबी मुक्त वाहिनी द्वारा जिला टीबी कार्यालय में टीबी चैंपियंस का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसमें 20 टीबी चैंपियंस को प्रशिक्षण दिया गया। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले के करीब 20 से 25 पंचायतों को टीबी मुक्त वाहिनी द्वारा गोद लिया जायेगा और टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया जायेगा। एक साल तक पंचायतों में टीबी के प्रति जागरूकता अभियान, मरीजों के अधिकारी के बारे में जानकारी देना, इलाज में सहयोग करना, दवा दिलाना, सरकार के योजना का लाभ दिलाने का कार्य टीबी चैंपियंस के द्वारा किया जायेगा।

किन्नर समुदाय को भी किया जायेगा जागरूक

प्रशिक्षण के दौरान टीबी मुक्त वाहिनी के सचिव सुदेश्वर सिंह ने बताया कि टीबी से ग्रसित मरीज पुरूष हो या महिला हो या कोई किन्नर समुदाय से सभी के अधिकार में समानता होनी चाहिए। किन्नर समुदाय को भी टीबी के प्रति जागरूक किया जायेगा। टीबी के मरीजों को फ्री में जांच, फ्री में दवा, सरकार के द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ लेने का अधिकार है। हर किसी को अपना इलाज करने का अधिकार है। टीबी एक अभिशाप है, जो एक बार हो जाये तो खत्म नहीं हो सकता, इस प्रकार की धारणाएं जो समुदाय में जड़ पकड़े हुए है उसे खत्म करना और टीबी के प्रति समुदाय को जागरूक करना है कि टीबी एक पूर्णरूप से खत्म होने वाली बीमारी है । जिसका सबसे बड़ा उदाहरण एक टीबी चैम्पियन है इसलिए समाज के द्वारा बनाई गई टीबी के प्रति गलत धारणाओं के प्रति समुदाय को जागरूक करके टीबी मुक्त समुदाय बनाया जा सकता है।

प्रवासी मजदूर और ईंट भट्टों पर काम करने वालों को खतरा अधिक:

टीबी मुक्त वाहिनी के जिला प्रभारी राजू रंजन सिंह ने बताया कि अधिक जोखिम वाला क्षेत्र की पहचान करना टीबी चैंपियन की जिम्मेदारी है। टीबी चैंपियंस एक साल तक पंचायतों में काम करेंगे। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि दिया जायेगा। इसके साथ हीं विभाग द्वारा इन्सेंटिव भी देने का प्रावधान किया गया है। एचआईवी और शुगर से ग्रसित लोग जिनका रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। खदान ईंट भट्टा, धूल मिट्टी में काम करने वाले लोगों को फेफड़ों में धूल मिट्टी का जमना, सही पोषण ना लेना, समूह में एक साथ रहने के कारण बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है, प्रवासी मजदूर यह ज्यादा लोग के संपर्क में रहते हैं इसलिए टीबी का खतरा अधिक होता है।