राष्ट्रनायक न्यूज

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सर्दी के मौसम में डायरिया व निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों व बुजुर्गों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत

सर्दी के मौसम में डायरिया निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों बुजुर्गों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत

  • ठंड के मौसम में सावधानी ही सबसे बड़ी दवा
  • बच्चों बुजुर्गों को ठंड से बचा कर रखना लाजिमी
  • बीमार पड़ें तो तत्काल ही चिकित्सक से सलाह लें

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा (सारण)  जिले में ठंड लगातार बढ़ रही है। कई दिनों से धूप नहीं खिली हैं। ऐसे मौसम में थोड़ी सी लापरवाही से लोग बीमार हो सकते हैं। खासकर बूढ़े व बच्चे कोल्ड डायरिया के शिकार हो सकते हैं। ठंड के इस मौसम में कोल्ड डायरिया पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे  में सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे में कोल्ड डायरिया, निमोनिया, सर्दी, खांसी आदि बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। बुजुर्गों  को इस मौसम में सांस की परेशानी, दमा की शिकायत, लकवा मारना, बीपी बढऩे जैसे परेशानी हो सकती है। ऐसे मौसम में सबसे बड़ी दवा सावधानी है। अपनी सेहत को लेकर सभी को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

बच्चे बुजुर्गों को ठंड से बचा कर रखना लाजिमी:

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया  सर्दी के मौसम में कोल्ड डायरिया की शिकायत मिलती है। इस मौसम में खासकर बच्चों में निमोनिया ज्यादा होता है जबकि बुजुर्गों में लकवा मारने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए ठंड के मौसम में बच्चे व बुजुर्गों को ठंड से बचा कर रखना लाजिमी हो जाता है। गर्म खाना व गर्म पानी का सेवन और मॉर्निंग वाक के समय गर्म कपड़ों के प्रयोग करें।

बीमार पड़ें तो तत्काल ही चिकित्सक से सलाह लें:

सीएस डॉ. झा ने बताया बच्चों को हमेशा ही गर्म कपड़े में लपेटें, घर में गर्मी के लिये हीटर व अन्य इंतजाम करें, यदि बच्चा 6 माह से ऊपर है तो हमेशा ही दूध उबाल कर पिलाएं। इसके साथ ही कहा है कि यदि बीमार पड़े तो तत्काल ही चिकित्सक से सलाह व दवा लें। ठंड में हृदय रोगियों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। इस मौसम में कार्डियक अटैक, ब्रेन हेमरेज और लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है। सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों को सभी तरह के दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। अस्पताल में सभी सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध है।

गर्म पानी पीना चाहिए:

सीएस डॉ. झा ने बताया ठंड में ब्लड सर्कुलेट करने वाली नसें सिकुड़ने लगती हैं। इससे हृदय रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। नसों के सिकुड़ने से सीने में दर्द को बढ़ाता है जिसे एंजाइना पेन कहा जाता है. इसलिए ठंड से बच कर रहना चाहिए। नियमित दवाई लेनी चाहिए। ठंड पानी की जगह गर्म पानी पीना चाहिए।

रोग के क्या हैं लक्षण:

  • उल्टी-दस्त का सिलसिला
  • पेट में बार-बार तेज दर्द होना
  • पेट में मरोड़ के साथ पीड़ा
  • सर्दी संग जोड़ों में दर्द होना

कैसे करें बचाव

  • तली हुई मिर्च-मसालेदार चीजें न खाएं
  • चाय, कॉफी, कम पिएं
  • खुले में रखी खाने-पीने की चीजें न खाएं
  • दस्त होने पर पानी उबालकर पिएं
  • ओआरएस का घोल समय पर लेते रहें

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