कालाजार रोगियों की खोज के लिये फारबिसगंज के खैराबखिया में चला विशेष अभियान
- गांव में लगाया गया विशेष मेडिकल कैंप, प्रभावित वार्ड के शतप्रतिशत घरों में हुआ छिड़काव
- पंद्रह दिनों से अधिक समय तक बुखार पीड़ित रोगियों के लिये कालाजार का जांच जरूरी
अररिया (बिहार)। जिले में कालाजार उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग का प्रयास लगातार जारी है| इसी क्रम में जिले के चिह्नित 152 गांवों में 15 से 22 जनवरी के बीच घर-घर रोगी खोज अभियान का संचालन किया गया| इसके उपरांत कालाजार प्रभावित चिह्नित गांवों में विशेष अभियान का संचालन किया जा रहा है| इसी क्रम में फारबिसगंज प्रखंड के खैराबखिया गांव में अभियान के तहत सघन रोगी खेाज अभियान के साथ-साथ कालाजार मरीजों की खोज के लिये विशेष मेडिकल कैंप का आयोजन वीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह की अगुआई में किया गया| कैंप में वीबीडीसी सुरेंद्र बाबू, वीडीसीओ ललन कुमार, डीटीएल केयर पर्णा चक्रवती, केटीएस अमर कुमार, केबीसी दीपक कुमार व ओमप्रकाश सहित अन्य मौजूद थे|
विशेष कैंप में कालाजार को कोई मामला नहीं आया सामने :
फारबिसगंज प्रखंड के खैराबखिया गांव में लगातार सामने आ रहे कालाजार के मामलों को देखते हुए आयोजित एक दिवसीय विशेष शिविर की जानकारी देते हुए वीडीसीओ सुरेंद्र बाबू ने बताया कि इस विशेष आयोजन के तहत गांव के वार्ड संख्या 13 में सौ से अधिक घरों में कालाजार से बचाव के लिये जरूरी दवा का छिड़काव कराया गया| आयोजित मेडिकल कैंप में गांव के 16 लोगों का मलेरिया व कालाजार संबंधी जांच करायी गयी | जांच में कालाजार के एक भी मामले सामने नहीं आने पर उन्होंने खुशी जतायी| उन्होंने बताया कि कालाजार प्रभावित जिले के अन्य गांवों में भी कालाजार से संबंधित मामलों में कमी लाने व इसे पूरी तरह खत्म करने को लेकर जरूरी प्रयास लगातार किये जा रहे हैं|
पंद्रह दिनों से अधिक बुखार रहने पर कालाजार की जांच जरूरी :
अभियान की अगुआई कर रहे वीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि 15 दिन या इससे अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित वैसे व्यक्ति जिनका बुखार मलेरिया व एंडीबायोटिक दवाओं के सेवन के बावजूद ठीक नहीं हो रहा हो, वैसे लोगों को कालाजार संबंधी जांच जरूरी करानी चाहिये| उन्होंने कहा कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार रोग के लक्षण हो सकते हैं| उन्होंने कहा कि भूख की कमी, पेट का बड़ा होना व शरीर का काला पड़ना रोग के लक्षण हो सकते हैं| उन्होंने कहा कि वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा के चमड़े पर चकता या दाग हों व अगर ऐसे मरीज पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हैं तो ये पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं|
श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में निर्धारित राशि के भुगतान का प्रावधान:
वीडीसीओ ललन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध है| कहा कि कालाजार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है| पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्होंने दी|


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