अनुज प्रतिक की खास रिपोर्ट। राष्ट्रनायक न्यूज।
सोनपुर/ दिघवारा (सारण)। छह माह पीपापुल तो छह माह करते है नाव की सवारी दियारा वाशी उपरोक्त पंक्तियों गंगा नदी की धाराओं के बीच बसे अकिलपुर दियारावशयियो की जमीनी हक्कीत है । सारण एवं पटना जिले की लगभग चार प्रखण्ड के एक या दो पँचायत पूर्ण या कुछ भाग लगभग इस दियारे क्षेत्र में अवस्थित है। 40 वर्ग से 60 वर्ग किलोमीटर में फैले की इस दियारे में मुख्यतः दीघवारा प्रखण्ड के अकिलपुर पँचायत सोनपुर प्रखण्ड के रसूलपुर पँचायत के दो गांव रमसाचक एवं गरीपटी के साथ ही पहलेजा पँचायत के दो गांव के साथ पटना सदर के मानस पँचायत एवं दानापुर के पतलापुर पँचायत अवस्थित है जहां लगभग 34 गांव है।
सभी आबादी नाव एवं पीपा पुल के भरोसे
इन गांव के निवाशियो के प्रखण्ड मुख्यालय से जुड़ाव हेतु छमाही विकल्प उपलब्ध रहते रहते है।जिन्हें स्थानीय स्तर पर समझने की कोसिस करें तब आधी जून के महीने से लगभग दिसम्बर के शुरुआत तक इनका सफर जानलेवा नाव से होता है जहां ये किसी कार्य हेतु प्रखण्ड मुख्यालय एवं हाट बाजार तक पहुचते है।हालांकि दिसम्बर माह से आधी जून माह तक इनका सफर कुछ आसान तो होता लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित नही। इस दियारे का जुड़ाव पूर्व में पहलेजा घाट स्तिथ पीपा पुल से अकिलपुर तो उतर की ओर शंकरपुर घाट से सरकारी नियमो के विरुद्ध बने चचरी पुल से मझौआ घाट दिघवारा के अलावे दक्षिण में पुरानी पानापुर घाट से दानापुर कैंट एरिया के आस पास हो जाता है। जहाँ पीपा पुलों की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नही है। हाल के दिनों में कई दुर्घटनाये देखने को मिली है बावजूद इसके प्रसासन की तरफ से कोई खास सुरक्षात्मक इंतजाम नही किये जाते है।सिर्फ पीपापुल पार करने वाले यात्रियों के सूचनार्थ एकाध सूचना पट लगा अपनी कर्तव्यों का इतिश्री मान लेता है। जानकारी के मुताबिक ये सभी रास्ते यात्रियों को दिन में तो राहत देते है वही रात्रि के समय सिर्फ और सिर्फ असुरक्षा एवं भय ।
मरीजों से लेकर छात्र-किसानों सभी रहते है परेशान
इस इलाके में रहने वाले अध्धययन रत छात्र छत्राओं किसानों के अलावे आपातकालीन मरीजो को इस असुविधा का खामियाजा उठाना पड़ता है।छात्र छत्राओं को जहाँ शिक्षा ग्रहण के लिये राज्य की राजधानी एवं अन्य जगहों पर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ता है। वही कभी कभी गम्भीर रोगों से पीड़ित आपातकालीन मरीजो को तो अपनी जान ही गवानी पड़ती है।मरीजो को उस वक्त ज्यादा परेशानी होती है जब गंगा नदी उफान पर रहती है और उस वक्त उन्हें नाव में बैठककर चिकित्सालयों में जाना पड़ता है।
इस दियारे लंबी अवधि से हो रही स्थाई पुल की मांग
दियारे के सामाजिक कार्यकर्ता बतरौली निवासी सजंय कुमार सिह ने कहा कि दियारे के लोगो की प्रखण्ड मुख्यालय एवं शहरों से सालों भर एवं रात चाहे दिन के सम्पर्क के लिये एक ही विकल्प है।इन तीनो रुट पर स्थाई पुल । सरकार को जल्द से जल्द इन तीनो जुड़ाव स्थलों का सर्वे कराकर स्थाई पुल का निर्माण कार्य कराए। वही कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता लंबे अर्से से इस जगह स्थाईपुल की मांग कर रहे है।
2019 में आया था पुल निर्माण का प्रस्ताव
वर्ष 2019 में दिघवारा से अकिलपुर के बीच स्थाईपुल का प्रस्ताव तत्कालीन जिलाधिकारी ने राज्य पुल निर्माण निगम लिमटेड को भेजा था । वही उसके बाद अभी तक इस प्रस्ताव को लेकर क्या प्रगति हुई कोई जानकारी नही मिल सकी।
पीपापुल पर हो चुकी है कई दुर्घटनाये वही नाव की टक्कर में भी जान गवां चुके है दियारे के दर्जनों ग्रामीण
इस इलाके में ऐसा कोई वर्ष नही बीतता जब कोई न कोई को पीपापुल पार करने मे कोई दुर्घटना नही हुआ हो। अभी हाल के दिनों के ही पानापुर पीपापुल के समीप सवारी गाड़ी की दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण लगभग 9 लोगो को मृत हो गए थे।वही दानापुर से पुरानी पानापुर घाट के लिये खुली यात्रियों से भरी नाव एवं एक बालू लदी की टक्कर विगत वर्ष अगस्त महीने में हो गई थी।जिस घटना में भी 4 लोग मारे गए थे। इन सभी दुर्घटना घटना एवं दियारे वाशियों के कष्ट को देखते हुये अब यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कब तक सरकार की नींद इस मुद्दे पर खुलती है।और सूबे के वरीय अधिकारी एवं इलाके की जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को उचित जगह पर उठाकर स्थाईपुल दियारे वाशियों को दिलवा देते है।
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