राष्ट्रनायक न्यूज। पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज एक ऐसी बीमारी है जिसे अंडाशय में कई सिस्ट के रूप में वर्णित किया जाता है। सिस्ट तरल पदार्थ से भरी छोटी थैली होती हैं। ये सिस्ट सामान्य मासिक धर्म चक्र में बदलाव का परिणाम होते हैं, जिसके कारण अंडाशय बड़ा हो जाता है और बड़ी मात्रा में एण्ड्रोजन और एस्ट्रोजेनिक हार्मोन का उत्पादन करता है। पॉलीसिस्टिक अंडाशय सामान्य अंडाशय से बड़े होते हैं। इसे स्टीन-लेवेंथल सिंड्रोम और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। डिम्बग्रंथि रोग होने के कारण, पीसीओडी गर्भावस्था, मासिक धर्म चक्र, मधुमेह और हृदय क्रिया के दौरान समस्याओं का कारण बनता है। यह रोग मां से उसके संतान में स्थानांतरित होने की संभावना है। ऐसे में इसे मैनेज करने के लिए तुरंत उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं, जो पीसीओडी को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं-
कपालभांति: योगा गुरू कहते हैं कि अगर आप व्यायाम करने में बहुत अधिक अभ्यस्त नहीं हैं तो भी इस प्राणायाम का अभ्यास बेहद आसानी से किया जा सकता है। यह वजन कम करने में बेहद सहायक है और महिलाओं में पीसीओडी की समस्या की एक मुख्य वजह उनका वजन भी है। कपालभांति का अभ्यास करने के लिए आप सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन या ध्यान मुद्रा में बैठें। अब शरीर को ढीला छोडे़ं और सांसों को बाहर की तरफ छोडे़। इस अवस्था में आपका पेट अंदर की तरफ जाएगा। ध्यान रखें कि कपालभांति में सांस को अंदर नहीं खींचा जाता, बस बाहर की ओर धकेला जाता है। आप इस अभ्यास को लगातार 30 से चालीस बार करने की कोशिश करें। इसके बाद धीरे-धीरे इसकी गिनती व समय बढ़ाएं।
भुंजगासन: योगा एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस आसन का अभ्यास करने से भी पीसीओडी की समस्या से काफी हद तक आराम पाया जाता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। फिर आप हथेली को कंधे के सीध में रखें। ध्यान रखें कि आपके दोनों पैरों के बीच दूरी नहीं होना चाहिए, तथा पैर तने हुए होना चाहिए। अब आप सांस लेते हुए शरीर के अगले भाग को ऊपर की और उठाये। कुछ सेकंड्स इसी अवस्था में बनी रहे। फिर गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में आ जाये। आप अपनी क्षमतानुसार इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं।
नौकासन: बोट पोज के नाम से जाना जाने वाला नौकासन पाचन क्रिया के लिए विशेष रूप से लाभदायी होता है। साथ ही साथ यह आपके शरीर में हार्मोन को बैलेंस करने में भी मददगार हो सकता है। इस आसन को करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाए और फिर धीरे-धीरे ऊपर उठते हुए अपने शरीर की मदद से 30 डिग्री का कोण बनाएं। इस स्थिति में आप जितना देर तक रूकते हैं, उतना ही अधिक फायदा होता है। उसके बाद आप सामान्य स्थिति में लौट आएं।
धनुरासन: इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को पीछे की ओर उठाते हुए हल्का सा झुकाएं और धनुषाकार बनाते हुए अपनी एड़ियों को हाथों से पकड़ें। अब पैरों को थोड़ा और ऊपर उठाएं और और सांस लेते हुए हाथ से अपनी एड़ियों को खींचने की कोशिश करें। एड़ियों को खींचते समय पेट के वजन का संतुलन बनाए रखें और सिर को बिल्कुल सीधे रखें। इस धनुषाकार पोज को करते समय सांस लेने और छोड़ने पर अधिक ध्यान दें। सांस लेने के एक से बीस सेकेंड बाद इसे हल्के से छोड़ें और फिर आराम की मुद्रा में फर्श पर लेटे रहें। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं।
मर्जरी आसन: इस आसन के अभ्यास के लिए सबसे पहले जमीन चटाई बिछाकर उस पर अपने घुटने टेक लीजिए। अब आप आगे की ओर झुकें तथा अपने हाथों को जमीन पर कुछ इस तरह रखें कि मानो जैसे की कोई बच्चा क्रॉल करना शुरू करता है। अब इसी मुद्रा में अपनी बाजू और जांघों को सीधा रखें। गहरी सांस लें, अपनी पीठ को अंदर की तरफ दबाएं और ऊपर देखें। इस अवस्था में कुछ क्षण रूके। इसके बाद सांस छोड़ें तथा पीठ को ऊपर उठाएं। इस दौरान पेट को सिकुड़ने दें। आप अब ऊपर नहीं, बल्कि सिर झुक कर नीचे की ओर देखें। अब इस अवस्था में भी कुछ क्षण रूकें। अब वापस प्रारंभिक अवस्था में लौट आए। इस तरह आपका मर्जरीआसन का एक चक्र पूरा हुआ। इस आसन का अभ्यास आप अपनी क्षमतानुसार कर सकती हैं। यह आसन महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।
मिताली जैन
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