सरकारी उपेक्षा के कारण हरिहर क्षेत्र का जड़ भरत ऋषि आश्रम नहीं बन सका पर्यटन स्थल
- बैठक में हुआ बैजलपुर के जड़ भरत मंदिर को बिहार हेरिटेज में शामिल करने की मांग, नहीं तो होगा आंदोलन
छपरा (सारण)। विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला से करीब दो किलोमीटर उत्तर बैजलपुर गांव में स्थित प्राचीन जड़ भरत ऋषि का आश्रम अपने भक्तों और दर्शकों के अभाव में उदास पड़ा है। सोनपुर जैसे मेला अवधि में भी यह आश्रम सुनसान दिखाई पड़ता है। शायद ही भूले भटके बटोहिया यहां पहुंच पाते हैं। सरकारी उपेक्षा के कारण जड़भरत ऋषि का आश्रम अब तक पर्यटन स्थल नहीं बन सका। जबकि बाबा जड़ भरत का वर्णन ग्रंथों में वर्णित है।
बताते चलें कि जड़ भरत ऋषभ देव के पुत्र थे। उनकी मां थी जयंती तथा पत्नी पंचमी थी। पंचमी के शरीर से पांच पुत्र उत्पन्न हुए। लंबे काल तक राज्यभोग करने के बाद पिता की भांति भरत जी ने पुत्रों को सौंप दिया और स्वयं भगवत भक्ति करने के लिए हरिहर क्षेत्र पहुंचे। कहा जाता है कि एक दिन जब जड़भरत नारायणी में स्नान कर पूजा में लीन थे। उसी वक्त गर्भवती हिरणी प्यास से व्याकुल दशा में गंडक नदी में जल पीने आयी। वह जल पी ही रही थी कि कहीं से सिंह की दहाड़ सुनाई पड़ी। वह भयक्रांत होकर नदी पार करने की नियत से छलांग लगा दी। बेचारी हिरणी का गर्भपात हो गया और उसका बच्चा नदी में डूबने लगा। उसे डूबते हुए देख कर वह उसे बचाकर अपने आश्रम में लेे जाकर सुरक्षित पालने लगे। वह हिरणी का बच्चा जड़ भरत जी से इतना घुल मिल गया कि एक क्षण उनसे अलग रहना नहीं चाहता था। भरत जी जब कभी साधना के बहाने अपनी आंखें मूंद लेते थे तो वह बच्चा बेचैन होकर उनका अंग खुजलाने लगता था। जड़भरत जी जब मरणासन्न थे तो हिरणी के बच्चे की और उनकी आंखें लगी थी। दूसरे जन्म में उन्हें मृग योनि प्राप्त हुआ। तीसरे जन्म में वे आंगिरस के घर में जन्म लिए। मानव शरीर में जन्म लेने के बाद उनका ध्यान मात्र यही रहता था कि परिवार को मोह माया मृग छौना की भांति भक्ति से यहां भी उन्हें च्युत ना कर दें। इससे बचने के लिए उन्होंने ने पागल, बहरे, मूर्ख, जड़ के रूप में जीवन व्यतीत करने का निश्चय किया। पिता की मृत्यु के बाद वे सर्दी और धूप में भी निर्वस्त्र होकर घूमने लगे। एक बार दस्यु सरदार ने पुत्र प्राप्ति के लिए भद्रकाली को मनुष्य के बलि चढ़ाने की प्रतिज्ञा ली। दस्यु सरदार ने एक आदमी शीघ्र खोज कर लाने का आदेश अपने साथियों को दिया। संयोगवश उन सबकी मुलाकात भरत जी से हो गई। उन्हें पागल मूर्ख जानकर मन ही मन बहुत खुश हुए और उन्हें रस्सी से बांधकर चंडिका मंदिर ले गए। भद्रकाली अपने सम्मुख एक महायोगी और ज्ञानी को बलिदान करते देख क्रोध में जलने लगी। भद्रकाली ने कृपाण लेकर दस्यु का सिर धड़ से अलग कर दिया तथा जड़भरत को बलिदान होने से बचाया।
इस प्रकार की कई घटना उनके जीवन के साथ घटित हुई। जिससे उनकी व्यक्तित्व में चार चांद लगता है। उनके चरित्र से यह शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए कि मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा आदि को छोड़कर निष्काम भाव से आसक्ति रहित होकर अपने जीवन की गाड़ी को लेकर चले, ताकि अंतिम समय में भगवान का स्मरण करते हुए शरीर का त्याग कर सके।
बताते चले कि जड़भरत की कथा विष्णु पुराण के द्वितीय भाग में और भागवत पुराण के पंचम काण्ड में आती है। इसके अलावा यह जड़ भरत की कथा आदि पुराण नामक जैन ग्रन्थ में भी आती है। दुर्भाग्य है कि इस महान ऋषि के आश्रम तक पहुंचने के लिए ना तो यातायात की सुविधा है और ना वहां कोई गाइड की व्यवस्था जो पहुंचने वाले को बाबा जड़भरत के बारे में कुछ बतला सके।
ज्ञातव्य हो एशिया प्रसिद्ध प्लेटफॉर्म सोनपुर के रेलवे प्लेटफार्म पर एक बोर्ड लगा है जिस पर स्पष्ट अंकित है कि हरिहरनाथ मंदिर यहां से दो किलोमीटर पूर्व है तथा पुराणों में वर्णित जड़भरत ऋषि का आश्रम दो किलोमीटर उत्तर स्थित है। लेकिन इतने प्रसिद्ध स्थल तक मेलार्थियों तथा देशी-विदेशी पर्यटकों को ले जाने का कोई भी प्रयास आजादी के 72 वर्ष बाद न तो रेल प्रशासन कर सका है ओर ना ही राज्य सरकार। जबकि यहां पर चुनाव के समय वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी, विधायक रामानुज राय, पूर्व विधायक विनय सिंह आदि मत्था टेकने जरूर आते हैं। वहीं मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष रहते कई बार खुद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने भी बाबा जड़भरत का दर्शन किया है। परिणाम स्वरूप आश्रम की ख्याति हर रोज लुप्त सी होती चली जा रही है। इस मौके पर गरीब रक्षक आर्मी के संयोजक प्रभात रंजन, अहीप बजरंग दल उपाध्यक्ष राकेश सिंह, शुभम सत्यार्थी, जिला मंत्री निशु सिंह, जनता पार्टी के जिला प्रभारी मुकेश सिंह, अभाविप के राज्य कार्यकारिणी सदस्य यशवंत कुमार, नगर मंत्री घनश्याम, सड़क संघर्ष दल के राणा राजेश सिंह, घनश्याम तिवारी, अनुराग सिंह, प्रशांत सिंह, विशाल सिंह समेत दर्जनों युवाओं ने बैठक करके उक्त स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतु मांग की है। साथ ही उनकी यह मांग शीघ्र नहीं मानी जाने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।


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