- कभी भी विषधर व हिंसक जीवों पर भरोसा नहीं करें
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (संजय पांडेय/अमित कुमार)। सांपों के साथ दोस्ती कभी भी भारी पड़ सकती है। ऐसी गलती करने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। …. और हुआ भी ऐसा ही मांझी प्रखण्ड क्षेत्र के शीतलपुर गांव निवासी मनमोहन उर्फ भुअर के साथ। महज एक गलती ने उसके हँसते खेलते जीवन की इहलीला ही समाप्त कर दी। वह कभी सोचा भी नही होगा कि उसके साथ भी यह हादसा हो सकता है। रक्षा बंधन के दिन रविवार को कुछ ऐसा ही हुआ जब वह दो विषैले कोबरा सांप की पूछ पकड़ अपनी बहन से उन सांपो को राखी बंधवा रहा था। तभी काल रूपी एक कोबरा ने उसके पैर की उंगली में डस लिया और उसकी असामयिक मौत हो गई। कभी लोगो ने सोचा भी नहीं था कि उसके साथ ऐसा भी कुछ हो सकता है। सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसकी मौत की खबर सुन लोगों को विश्वाश ही नहीं हो रहा था। खबर सुन उसके दरवाजे पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उसकी असामयिक मौत की खबर सुन क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
जिसने न जाने कितने सांपो व सांप के डंस से पीड़ित कई लोगों की जान बचाई। उसी सांप के हमला में घायल खुद ही अपना जीवन हार गया। साक्षत मौत को दावत देना अर्थात कोबरा को पकड़ना और उसे पालना कितना भारी पड़ सकता है। उसका सहज ही अंदाज भुअर के साथ हुए हादसा से लगाया जा सकता है। कभी वह सोचा भी नहीन था कि जिसे वह पालन पोषण कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ उसे जीवनदान दिया करता था। वहीं उसका काल बन जायेगा। दो सांपो की पूछ पकड़ रक्षा बंधवाने के दौरान थोड़ी सी उसकी नजर की एक चूक ने उसे असमय मौत की नींद सुला दिया। बताया जाता है कि क्षेत्र में अब तक न जाने कितने विषैले सांपों को वह पकड़ा था। वही कई घायल सांपो को उपचार के बाद सुदूर जंगल मे सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का काम करता था।
सर्प डंस से पीड़ित कई लोगों को जीवन बचाने वाला आज खुद ही काल के गाल में समा गया। उसको क्या पता था कि एक दिन वही सांप उसके मौत का कारण बनेगा। उसकी सांपो के प्रति निडरता उसके जीवन पर भारी पड़ गई। बताया जाता है कि सर्प डंस से पीड़ित न जाने कितने लोगों को अपने साधना व तंत्र मंत्र से भला चंगा कर दिया था। लेकिन काल जब उसके ऊपर साक्षात मौत बन कर आई तो लाख कोशिश के बावजूद भी उसकी जिंदगी नही बच पाई। इसलिए कहा भी जाता है सांप से दोस्ती कभी भी भारी पड़ सकती है। सांप को पालना व दूध पिलाना कभी भी खतरे से खाली नहीं है। कहा भी जाता है अक्सर वही डूबता है जिसे तैरने का अनुभव होता है, नहीं तैरने वाले पानी तो पानी उसके किनारे भी जाने से कतराते हैं। लोगों का कहना है कि उसका सांपो के प्रति अत्यधिक लगाव व आत्मविश्वास कहीं न कहीं उसके लिए जानलेवा साबित हुआ। सांप से खेलना कदापि बहादुरी नहीं है, बल्कि मूर्खता है। उससे डरना समझदारी है। कहा भी जाता है सांप को आप कितना भी दूध पिलादो वह डँसना नही छोड़ता है। क्योंकि उसका स्वभाव है। अतः ऐसे जहरीले व विषधर जीवो से हमेशा सावधन रहे कभी भूलकर भी ऐसी करतब दिखाने की चेष्टा नहीं करें। क्योंकि कभी भी अपनी ही जान पर आफत आ सकती है।
गमगीन माहौल में सोमवार को डुमाईगढ़ घाट स्थित सरयू नदी में उसके शव को प्रवाहित किया गया। जिसमे बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग शामिल थे।


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