काबुल, (एजेंसी)। तालिबान ने शनिवार को अफगानों को वाहन, हथियार, गोला-बारूद और अन्य सरकारी संपत्ति संबंधित अधिकारियों को सौंपने का आदेश दिया है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर निर्देश जारी किया है। जबीहुल्लाह ने लिखा, “इस्लामिक अमीरात की सुरक्षा की घोषणा: काबुल शहर में वे सभी जिनके पास वाहन, हथियार, गोला-बारूद या अन्य सरकारी संपत्ति है, उन्हें एक सप्ताह के भीतर उक्त वस्तुओं को इस्लामिक अमीरात के संबंधित अधिकारियों को सौंपने के लिए सूचित किया जा रहा है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान द्वारा पहले भी इसी तरह के आदेश जारी किए गए थे, जिसमें नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए रखे गए हथियारों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था। तालिबान के अफगानिस्तान के कब्जे के बाद से कुछ हफ़्ते से भी कम समय में, युद्ध से तबाह देश में मामलों की स्थिति, मानवाधिकारों के संबंध में संगठन ने जो वादा किया था, उससे काफी अलग है। आपको बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया। तब से देश के कई हिस्सों से मानवाधिकारों के हनन के बढ़ते मामलों के साथ लोग दहशत में हैं। हाल के सप्ताहों में, संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन के साथ-साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन और उल्लंघन के नागरिकों पर प्रभाव की कठोर और विश्वसनीय रिपोर्ट मिली है।
राजधानी पर कब्जा करने के तुरंत बाद, आतंकवादी समूह ने सरकारी अधिकारियों के लिए माफी की घोषणा की और महिलाओं को बुनियादी अधिकारों का आश्वासन दिया। आईएफएफआरएएस की रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, पिछले कुछ दिनों में महिलाओं को दंडित करते हुए देखा गया है। अल्पसंख्यक हाजरा समुदाय के लोगों की हत्या की गई है और बच्चों को हिंसा का शिकार बनाया गया है।”
ह़ूमन राइट्स वॉच के अनुसार, अफगानिस्तान में महिला अधिकार अपराधियों के लिए न्याय मायावी बना हुआ है और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का उद्देश्य वाला कानून निष्प्रभावी होता जा रहा है। महिलाओं के लिए, पत्रकारों के लिए और पिछले वर्षों में उभरे नागरिक समाज के नेताओं की नई पीढ़ी के लिए गंभीर भय हैं। तालिबान शासन के तहत गंभीर उल्लंघनों के पिछले पैटर्न और हाल के महीनों में हत्याओं और लक्षित हमलों की रिपोर्टों को देखते हुए अफगानिस्तान के विविध जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी हिंसा और दमन का खतरा है।


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