- पांच प्रखंडों में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने होगा ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्व:
अरवल, 02 नवंबर।
जिला में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे किया जायेगा. सदर अस्पताल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में सर्वे से संबंधित योजनाओं की तैयारी को लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय बैठक की गयी. सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार की अध्यक्षता में इस बैठक का आयोजन किया गया. इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ राजेश कुमार, जोनल कॉर्डिनेटर डॉ अरूण कुमार तथा डॉ दिलीप झा, पीसीआई संस्था से अशोक सोनी, डीवीबीडीओ कंस्लटेंट मनोज कुमार सहित शिक्षा विभाग के डीपीओ, बीईओ, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं बीएचएम आदि भी मौजूद रहे। सिविल सर्जन ने कहा जिला में चिन्हित बच्चों की रक्त जांच कर फाइलेरिया के प्रसार का पता लगाया जायेगा. पूर्व में मास ड्रग एडमिन्सिट्रेशन के तहत आवश्यक दवा का सेवन कराया जा चुका है. अब यह देखना जरूरी है कि जिला में फाइलेरिया का प्रसार दर क्या है. अधिकारियों के साथ बैठक कर माइक्रोप्लानिंग तथा सर्वे संबंधी कार्यों पर चर्चा की गयी है. पहले सभी प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधकों तथा शिक्षा पदाधिकारी को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसके बाद सर्वे कार्य होगा.
दो हजार बच्चों के खून की होगी जांच:
सिविल सर्जन ने बताया जिला में दो हजार बच्चों को चिन्हित किया गया है. इन बच्चों के रक्त की जांच होगी जिससे फाइलेरिया प्रसार का दर पता चल सकेगा. जिला के सभी पांच प्रखंडों में यह कार्य किया जाना है. 15 नवंबर से 22 नवंबर के बीच माइक्रोप्लान के अनुसार चिन्हित बच्चों के खून की जांच की जायेगी. फाइलेरिया दर का पता लगाने की प्रक्रिया भारत सरकार तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टैंडर्ड टास्क प्रोटोकॉल के अंतर्गत पूरी की जायेगी. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया प्रभाव के मद्देनजर पहले मास ड्रग एडमिन्सट्रेशन के तहत दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को लगातार पांच साल तक फाइलेरिया दवा का सेवन कराया जाता है. इसके बाद स्कूल के पहली व दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले छह से सात वर्ष आयुवर्ग के बच्चों के खून की जांच की जाती है. इससे फाइलेरिया का प्रभाव देखा जाता है. यदि बच्चों में फाइलेरिया ट्रांसमिशन देखा जाता है तो उन्हें पुन: आवश्यक दवाई दी जाती है.


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