- संवर्द्धन कार्यक्रम के तहत मध्य स्तरीय प्रशिक्षकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण हुआ शुरू
- समुदाय आधारित देखभाल से ठीक हो सकते कुपोषण से जुड़े 90 फीसदी मामले
कटिहार, 23 नवंबर।
कुपोषण की समस्या से प्रभावी तौर पर निपटने के लिये जिले में संवर्द्धन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। महमारी के दौर में प्रभावित पोषण संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने के उद्देश्य से संचालित संवर्द्धन कार्यक्रम गरीब परिवारों के छोटे-छोटे बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित होगा। कोरोना काल में छोटे बच्चों के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करना गरीब परिवारों के लिये बड़ी चुनौती बन कर उभरा है। इन विपरित परिस्थितियों में अति गंभीर कुपोषित बच्चों के बेहतर देखभाल की जरूरतों को देखते हुए जिले संवर्द्धन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत मध्य स्तरीय प्रशिक्षकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार डीआरडीए सभागार में शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन डीपीओ आईसीडीएस बेबी रानी, यूनिसेफ की राज्य सलाहकार सूपर्णा राय, पोषण अभियान के जिला समन्वयक अनमोल गुप्ता, यूनिसेफ के जिला सलाहकार जितेंद्र कुमार, पिरामल स्वास्थ्य से मनीष कुमार सहित अन्य ने सामूहिक रूप से किया।
समुदाय स्तर पर बेहतर देखभाल से कुपोषण के मामलों में आयेगी कमी :
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईसीडीएस डीपीओ बेबी रानी ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौर में राज्य में कुपोषण से संबंधित मामलों में 15 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। कुपोषण के मामलों से निपटने के लिये राज्य के चयनित जिलों में संवर्द्धन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसमें कटिहार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व आईसीडीएस के सहयोग से संचालित इस महत्वकांक्षी अभियान में डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा, पिरामल स्वास्थ्य, यूनिसेफ सहित अन्य सहयोगी संस्था जरूरी मदद ली जा रही है। ताकि कुपोषण से जुड़े मामलों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सके। उन्होंने बताया कि कुपोषण से जुड़े 90 फीसदी मामले समुदाय आधारित देखभाल से ठीक हो सकते हैं। जो संवर्द्धन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
कुपोषित बच्चों की पहचान व सेहत में सुधार लाना कार्यक्रम का उद्देश्य :
यूनिसेफ के राज्य सलाहकार सूपर्णा राय ने कहा कि संवर्द्धन कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों के मौजूदा मंचों को एकीकृत कर समुदाय स्तर पर बच्चों में कुपोषण से जुड़े मामलों को कम करते हुए बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित कराना है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उनकी स्थिति के अनुरूप उनके स्वास्थ्य व पोषण के स्तर पर सुधार लाना संवर्द्धन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
बेहतर पोषण से शिशु मृत्यु दर में आयेगी कमी :
कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभा रही यूनिसेफ राज्य सलाहकार वुंदा किराडो व डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की सलाहकार संवर्द्धन कार्यक्रम पल्लवी कुमारी ने कहा कि कुपोषण से जुड़ी चुनौतियों से निपट कर शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिये छह माह की उम्र से शिशुओं को ऊपरी आहार का सेवन कराना जरूरी है। नियमित स्तनपान के साथ ऊपरी आहार शिशु के सर्वांगीण विकास के लिये जरूरी है। मौके पर पिरामल स्वास्थ्य के मनीष कुमार सहित अन्य मौजूद थे। कार्यक्रम में सभी परियोजना कार्यालय के प्रखंड समन्वयक, परियोजना सहायक, महिला पर्यवेक्षिका व बीसीएम को संवर्द्धन कार्यक्रम से जुड़ी जरूरी जानकारी दी गयी।


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