नई दिल्ली, (एजेंसी)। सरकार की उवर्रक सब्सिडी चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। इसका प्रमुख कारण यूरिया और डीएपी (डाई-अमोनिया फॉस्फेट) जैसे उर्वरकों के अंतररराष्ट्रीय मूल्य में वृद्धि है। उद्योग संगठन फर्टिलाइजर एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एफएआई) ने यह कहा। एफएआई के चेयरमैन के एस राजू ने सालाना सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि समय पर सब्सिडी का भुगतान उद्योग के लिये गंभीर मुद्दा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 65,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराये थे। इससे कुल बजटीय आबंटन 1,34,000 करोड़ रुपये पहुंच गया था। राजू ने कहा, ”यूरिया के उत्पादन और आयात लागत में वृद्धि और पीएंडके (फॉस्फेट और पोटेशियम) उर्वरकों पर सब्सिडी में वृद्धि के कारण इस वर्ष स्थिति फिर से गंभीर हो गई है…। हमारा अनुमान है कि सब्सिडी की कुल जरूरत 1,30,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी। यानी बजटीय अनुमान 80,000 करोड़ रुपये के अलावा 50,000 करोड़ रुपये की और जरूरत होगी।”
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी के दाम बढ़ने के कारण केंद्र सरकार ने मई में डीएपी पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ा दिया था। यानी महंगाई के बावजूद किसानों को डीएपी 1,200 रुपये प्रति कट्टे के पुराने मूल्य पर ही मिल रही है। हालांकि सब्सिडी में बढ़ाने से सरकारी खजाने पर 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। यूरिया के बाद, डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) देश में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। पीएमओ ने कहा कि डीएपी उर्वरक की सब्सिडी 500 रुपये प्रति कट्टे से बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति कट्टा करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
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