राष्ट्रनायक न्यूज

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विद्यालयों और आंगनवाड़ी में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों का होगा स्वास्थ्य परीक्षण

पंकज कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।

मशरक (सारण)। कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों को बंद कर दिया गया था। इस वजह से आंगनबाड़ी केंद्रों एवं विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच गतिविधियां बाधित थी। वहीं चलंत चिकित्सा दलों को कोविड-19 संबंधी रोकथाम कार्यों में लगाया गया था। अब मशरक प्रखंड के सभी आंगनवाड़ी केन्द्र और सरकारी विद्यालय खुल चुके हैं जिसको देखते हुए जिले से मिले आदेश के आलोक में मशरक सीएचसी प्रभारी डॉ गोपाल कृष्ण के आदेशानुसार बुधवार को सीएचसी परिसर से दो टीमों को ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ राजेश कुमार ने क्षेत्रों में रवाना किया। टीम के रवानगी के समय डॉ राजेश कुमार, डॉ मंनोरंजन सिंह, डॉ आशीफ इकबाल, स्वास्थ्य प्रबंधक परवेज रजा,प्रखंड स्वास्थ्य मूल्यांकन पदाधिकारी प्रियाशु प्रकाश,संजय कुमार,प्रतिमा कुमारी समेत स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे। दोनों टीमें आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचेंगी और बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएंगी।ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी दिया जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए मशरक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करेगी। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिग किए गए बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते है।आरबीएसके के चलंत चिकित्सा दलों के द्वारा स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की 45 तरह की बीमारी का स्क्रीनिग किया जाता है। साथ ही उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए रेफर किया जाता है। आशा को एचबीएनसी पर पांच जन्मजात विकृतियों को चिन्हित कर आरबीएसके टीम को सूचित करने का टास्क दिया गया है। मौके पर डॉ मंनोरंजन सिंह, डॉ आशीफ इकबाल ने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रम में शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है। जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है, ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रत्येक छह महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिग की जाती है। स्क्रीनिग करने के बाद बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।