छपरा(सारण)। स्वतन्त्रता सेनानी और माकपा के पूर्व राज्य सचिव गणेश शंकर विद्यार्थी का प्रथम स्मृति दिवस मनाया गया। जिसमें उनके तैल्यचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। जहां वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी 1942 भारत छोडो़ अन्दोलन के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में एक थे। उन्होंने पटना में छात्रों के एक बडे़ समूह का नेतृत्व भी किया था जब सेक्रेटारियट पर तिरंगा फहराने की ओर छात्र समूह बढ़ रहा था। विद्यार्थी जी का खानदान रजौली स्टेट ( नवादा ) से सम्बन्धित था, फिर भी उन्होनें अपना पूरा किसान, मजदूर एवं समाज के सबसे निचले पायदान पर जिन्दगी जीने वालों के लिये बिताया। रजौली स्टेट के कई एकड़ जमीन पर उन्होंने भूमिहीनों को बसाने के लिये तीखे संघर्ष भी किया था, जिसके चलते उन्हीं के खानदान के लोग उनके दुश्मन बन गये थे। तीन बार विधायक और एक बार एमएलसी रहने के बावजूद उनका सादा जीवन एक मिसाल था। विद्यार्थी जी एक सच्चे और अच्छे कम्युनिस्ट थे। वो अपने कार्यकर्ताओं के दुख सुख में शामिल रहना उनकी फितरत थी। लोग प्यार से उनको दाद कह कर ही सम्बोधित करते थे। वो एक ऐसे स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने कभी भी स्वतन्त्रता पेंशन लेना मंजूर नहीं किया। आने वाली पीढियों और मजदूर वर्ग के लिये विद्यार्थी जी सदा प्रेरणा के श्रोत बने रहेंगे। उपरोक्त बातें माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य अहमद अली ने पार्टी कार्यालय में, गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रथम स्मृति दिवस कर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि विद्यार्थी जी को एक ऐसे इतिहास पुरुष के रुप में अलंकृत किया जिनको युगों युगों तक आने वाली पीढि़याँ याद करेंगी। मुख्य रुप से छात्र नेता सरताज खाँ, सुनिल यादव, बिकास तिवारी, रोहित सिंह ,रतन सिंह आदि ने सभा को सम्बोधित किया।


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