राष्ट्रनायक न्यूज

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कालाजार उन्मूलन के खिलाफ मजबूत हुई लड़ाई, गांव के युवा और बुजुर्ग समूह बनाकर चला रहे जागरूकता अभियान

  • सामुदायिक सहभागिता से कालाजार मुक्त होगा जिला
  • पहले कालाजार को दी मात, अब लोगों को कर रहे हैं जागरूक

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण) किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए सामुदायिक सहभागिता काफी महत्वपूर्ण होती है। सामुदायिक सहभागिता से ही अभियान की सफलता संभव हो सकती है। जिले को कालाजार मुक्त बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है और इसको लेकर विभिन्न स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। सारण जिले के कुछ ऐसे भी लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से कालाजार उन्मूलन अभियान में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं  सारण जिले के गरखा प्रखंड के रहमपुर गांव की। जहां के युवा, बुजुर्ग और महिलाएं समूह बनाकर कालाजार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। गांव के करीब 1 दर्जन से अधिक युवा बुजुर्ग और महिलाएं जो पहले खुद कालाजार की मरीज रह चुकी हैं वह अब सरकारी अस्पताल में इलाज पाकर पूरी तरह से स्वस्थ हैं। अब वे लोग स्वास्थ विभाग के सहयोगी संस्था के साथ मिलकर पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाकर कालाजार से बचाव तथा कालाजार मरीजों के मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी मुहैया करा रहे हैं। उन लोगों ने एक समूह का गठन किया है, जिसमें कालाजार मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं, कालाजार से बचाव की जानकारी तथा उनके अधिकार और हक की जानकारी पर चर्चा की जाती है। हर माह इस समूह की बैठक की जाती है और मरीजों को तथा अन्य लोगों को जागरूक करने का काम किया जाता है।

नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजिज को समाज से करना है दूर:

30 जनवरी को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजिज दिवस मनाया जायेगा। कालाजार रोग भी नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजिज में शामिल है। ऐसे में इस रोग से निजात पाने के लिए सामुदायिक जागरूकता जरूरी है। नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजिज के बारे में लोगों में पहले की तुलना में काफी जागरूकता आयी है। एनटीडी की रोकथाम और नियंत्रण को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिकता दी जा रही है। इन रोगों में हाथीपांव, कालाजार, कुष्ठरोग, रेबीज, मिट्टी संचारित कृमिरोग और डेंगू शामिल हैं।

जागरूकता कार्यक्रम में होते है शामिल:

मुझे भी दो साल पहले कालाजार हुआ था। जिसके बाद मेरा उपचार सारण जिले के गड़खा सरकारी अस्पताल में हुआ। जिसके बाद मैं पूरी तरह से स्वस्थ्य हूं। अब जितने जागरूकता कार्यक्रम होते है ,उसमें हम शामिल होते और आसपास के लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं। ताकि कालाजार उन्मूलन का सपना साकार किया जा सके।

रवि कुमार, ग्रामीण चिकित्सक, गड़खा सारण

निजी अस्पताल से मिली निराशा, सरकारी बना सहारा:

मुझे एक साल पहले कालाजार हुआ था, तब जागरूकता की कमी के कारण मैं निजी अस्पताल में इलाज कराने लगा। लेकिन ठीक नहीं हुआ। तब गांव की आशा से जानकारी मिली और मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में मेरा उपचार हुआ अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

मिश्री राय, रहमपुर गड़खा, सारण

अब लोगों को भी करते हैं जागरूक:

मेरी अचानक तबियत खराब हुई और लगातार बुखार था, कमजोरी भी महसूस हो रही थी। जांच कराने पर पता चला कि कालाजार है। उसके बाद उपचार हुआ, अब ठीक है। अब लोगों को जागरूक भी करते हैं। खुद मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं। ताकि इस बीमारी से बचाव हो सके।

मनीष कुमार, गड़खा सारण

इलाज के बाद 7100 रुपये मिले:

पिछले साल मुझे कालाजार हो गया था। जिसके बाद मेरा उपचार सरकारी अस्पताल में हुआ। वहां पर दवा के साथ मुझे आर्थिक सहयोग भी विभाग के द्वारा मिला। 7100 रुपये स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दिया गया। अब लोगों को जागरूक करने के लिए बनाये गये ग्रुप में शामिल हूं। समय-समय पर बैठक होती है। जिसमें कालाजार से बचाव की जानकारी दी जाती है।

मीरा देवी, गड़खा सारण।

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