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शारदा के कोखि के भिखार हो भिखारी जी

शारदा के कोखि के भिखार हो भिखारी जी

  • भोजपुरी के शेक्सपियर राय बहादुर भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथि पर विशेष

राणा परमार अखिलेश। दिघवारा
‘ लछिमी के पुतवा सपुतवा बा राजावा से/ शारदा के कोखि के भिखार हो भिखारी जी। ‘हिंदी भोजपुरी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि, कथाकार, नाटककार व गीत डाॅक्टर राजेश्वर सिंह राजेश रचित ‘ हरसिंगार ‘ से अवतरित उक्त काव्यात्मक श्रद्धांजलि में लोककवि भिखारी के शब्द चित्र आज भी वही है। वहीं गिलावा मिट्टी के कच्चे मकान आज भी रायबहादुर का स्मरण दिलाते है, अब तो उनके पौत्र राजेन्द्र ठाकुर भी नहीं रहे। कैरोना संकट में दरियापुर प्रखंड के सरारी निवासी और लोककवि के दामाद शत्रुघ्न ठाकुर आज भी गर्व करते हैं और कहते हैं-
“केहु कहत बा रायबहादुर, केहु कहत शेक्सपिअर।
केहु कहत बा रायबहादुर घर कुतुबपुर दिअर।’ सच तो यह है कि भक्ति की भाव भूमि पर सामाजिक कुरीतियों के मुखालिफत में कैथी लिपि में भोजपुरी लेखन व नाचमंडली में भारतीय नाट्य शास्त्र के भरतमुनि थे, भिखारी ठाकुर। नाच के गरोहियादार, नर्तक विदूषक,बैतालिक सबकुछ रहे लोककवि ने स्वयं कहा है:
‘कहत भिखारी हम हईं ना नचनिया।
नचवे रहिके बांकी कहिले कहानियां ।’
18 दिसम्बर 1887 को सारण जिला के सदर प्रखंडानर्गत कोटवां रामपुर पंचायत के कुतुब पुर निवासी दलसिंगार ठाकुर के पुत्र रत्न भिखारी ठाकुर के वर्ण ज्ञान देने वाले भगवान साह तथा काव्य ज्ञान देने वाले राम- हनुमान भक्त कवि और दिघवारा प्रखंड के फकूली निवासी बाबू बसुनायक सिंह थे। बहरहाल, दोनों गुरुओं के प्रति अपनी श्रद्धा अपने गीतों पिरोया है ,कवि ने -‘ लिखेके सिखवलन भगवान साह बनिया।तो दुसरे पद्य में ‘ राम नाम शबद में रहऽ लवलीन हरे राम राम/आएल कलजुगवा कठीन हरे राम राम/ कहे बसुनायक बानी बिदेआ के हीन हरे राम राम।’
करीब करीब तीन दशकों तक लोक भाषा भोजपुरी का परचम भोजपुरी जनपदों लहराते रहे। फिलिमिस्तान के ठगी के शिकार भी हुए उनके ‘विदेशिया’ नाटक पर 1964-65 में फिल्म बने और 5000 रूपये के बदले 500 रूपये देकर ठग लिया निर्माताओं ने।
भिखारी ठाकुर ने करीब एक दर्जन कृतियां भोजपुरी साहित्य को दी, विदेशिया, बेटी बेंचवा, पुत्र बध, गंगा स्नान, भाई विरोध, गबर घिचोर, नाई बहार आदि । 10 जुलाई 1971 को गोलोक वासी हुए मलिक जी की नाच मंडली उनके भतीजे और पोते दिनकर ठाकुर, फिर दामाद शत्रुघ्न ठाकुर चलाते रहे ।आज बाजारवाद ने नाच, नौटंकी, लोकगीतों आदि संस्कृति को निकल गया है। जिस शालीलनता से साहित्य के नौ रसो को अपनी रचनाओं में पिरोया ठाकुर जी ने आज बाजार में नीलाम कर रहे हैं, भोजपुरी के व्यास, गवैया, फिल्मी कलाकार और अश्लीलता पर लेखनी चलाने वाले पत्रकार धनंजय सिंह पर रानी मुखर्जी ने तो एफआईआर तक कराया है।गोया भोजपुरी में कुछ भी कहकर गाकर व भावभंगिमा से भोजपुरिया समाज को अपमानित करने का संवैधानिक अधिकार मिल गया है? फिल्म सिटी को।

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