- फर्जी तरीके से योजना का मस्टर रौल का किया गया है संधारण
- बनियापुर के सहाजितपुर पंचायत के मुखिया, मनरेगा पीओ व पीआरएस पर सरकारी राशि गबन करने का दोष प्रमाणित
- फर्जी अंगूठा का निशान से खोला गया है बैंक खाता, राशि की हुई निकासी
छपरा(सारण)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत क्रियान्वित योजना में मजदूरों को रोजगार देने के नाम फर्जी मस्टर रौल, जॉब कार्ड एवं सरकारी राशि का गबन करने का खुब फलफुल रहा है। गबन एवं फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद भी दोषी जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी एवं कर्मियों पर कार्रवाई नहीं किये जाने का मामला भी सामने आ रहा है। यूं कहें की रसूक के बल पर सरकारी राशि का गबन एवं फर्जीवाड़ा करने वाले को बचा दिया गया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं में लूट की खुली छुट दे दी गई है। ऐसा हीं मामला जिले के बनियापुर प्रखंड के सहाजितपुर पंचायत का है। जहां मनरेगा के तहत क्रियान्वित योजना में मृत व सरकारी नौकरी एवं विदेश में रहने वाले लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से जॉब कार्ड, बैंक खाता, मस्टर रौल तैयार कर सरकारी राशि का गठन किया गया है। जिसका खुलासा सदर के अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास दायर परिवाद की सुनवाई के दौरान हुआ है। जिसमें फर्जी तरीके से जॉब कार्ड, बैंक खाता एवं मास्टर रौल तैयार कर सरकारी राशि का गबन करने मामला प्रमाणित हुआ है। इसमें बनियापुर प्रखंड के तत्कालीन मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी यानी पीओ, तत्कालीन मुखिया एवं पंचायत रोजगार सेवक यानी पीआरएस पर दोष प्रमाणित हुआ है। इसके बाद भी अभी तक कार्रवाई नहीं किया गया है। इससे सरकारी सिस्टम के कार्यशैली पर बड़ा हीं यक्ष प्रश्न उठने लगा है, जिसे आम लोगों को समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
दो योजनाओं के नाम पर हुआ है सरकारी राशि का गबन एवं जॉबकार्ड, मस्टर रौल फर्जीवाड़ा
जिले के बनियापुर प्रखंड के सहाजितपुर पंचायत में मनरेगा के तहत दो योजनाओं के क्रियान्यवन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। इसको लेकर हाफिजपुर निवासी नारायण पाण्डेय एवं ग्रामीणों ने हाफिजपुर में गिरी टोला पुल से मुन्ना साह के खेत तक बाँध का जीर्णोद्धार एवं हाफिजपुर में श्याम नारायण गिरि के खेत से सड़क पुल तक बाँध का जीर्णोद्धार कार्य में अनियमितता की जांच को लेकर सदर अनुमडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के परिवाद दायर किया गया। जिसकी सुनवाई के दौरान मृत व सरकारी नौकरी, विदेश में रहने वाले के नाम पर फर्जी तरीके जाँब कार्ड, मस्टर रौल एवं बैंक खाता खोलकर राशि का गबन करने का दोष प्रमाणित हुआ है।
बनियापुर के सहाजितपुर पंचायत के मुखिया, मनरेगा पीओ व पीआरएस पर सरकारी राशि गबन करने का दोष प्रमाणित
मनरेगा के तहत योजनाओं के क्रियान्वयन में मजदूरों को फर्जी रोजगार देने और सरकारी राशि का गबन करने का दोष प्रमाणित हुआ है। लेकिन आश्चर्य की बात है दोष प्रमाणित होने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार जिले के बनियापुर प्रखंड के सहाजितपुर पंचायत में मृत व सरकारी नौकरी, विदेश में रहने वाले के नाम पर फर्जी तरीके जाँब कार्ड, मस्टर रौल एवं बैंक खाता खोलकर राशि का गबन करने के मामले में तत्कालीन मुखिया, मनरेगा पीओ एवं पंचायत रोजगार सेवक को दोषी करार दिया गया है।
दोषी मुखिया, मनरेगा पीओ व पीआरएस पर कार्रवाई के लिए डीएम को भेजा गया रिपोर्ट
मनरेगा के योजनाओं में फर्जीवाड़ा एवं सरकारी राशि का मामला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष प्रमाणित हुआ है। जिसमें सहाजितपुर पंचायत के तत्कालीन मुखिया, पीआरएस व मनरेगा पीओ पर कार्रवाई करने को लेकर सदर अनुमंडल के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मो. इमरान एवं ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता ने संयुक्त रूप से पत्रांक 34 दिनांक 2 अप्रैल 2022 के आलोक में जांच प्रतिवेदन के आधार पर अग्रेत्तर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजा है।
लाभार्थी को बिना जानकारी के फर्जी तरीके योजना की राशि का किया गया है उठाव
बनियापुर में मनरेगा के तहत हाफिजपुर में योजनाओं के कार्य में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसमें मृत व्यक्ति एवं सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों के नाम पर फर्जी अंगूठा का निशान बनाकर बैंक खाता खोलकर राशि गबन किया गया है। जब इसकी जांच शुरू हुई तो जिन व्यक्तियों के नाम पर राशि का उठाव किया गया उनसे पुछा गया तो उन्हें भी पता नहीं है कि जॉब कार्ड कब और कैसे बना। राशि भी बैंक खाता पर भेजकर निकासी कर लिया गया है। अनुमंडल लोक शिकायत पदाधिकारी के समक्ष इन लोगों ने लिखित रूप से दिया है कि वे कभी भी मनरेगा के तहत कोई कार्य नहीं किया है, जॉब कार्ड भी नहीं बनवाया है और न हीं रूपये लिया है।
पीआरएस तैयार करते है योजना का मस्टर रौल
मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार देने के लिए गांव में योजनाओं को क्रियान्वित किया जाता है। ताकि गांव स्तर पर बेरोजगार लोगों का रोजगार दिया जा सके। लेकिन आश्चर्य की बात है कि रोजगार देने के नाम पर मनरेगा में फर्जीवाड़ा का धंधा बन गया है। जहां योजना का फर्जी मस्टर रौल तैयार कर कागजी फाइलों में ही मजदूर तैयार कर रोजगार दिया गया है। जानकारों की माने तो पंचायतों में मनरेगा के तहत कार्य को संचालित करने के लिए पंचायत रोजगार सेवक यानी पीआरएस को पदस्थापित किया गया है। जब गांव के विकास के लिए मनरेगा के तहत योजना का कार्य शुरू किया जाता है तो उस कार्यों का मास्टर रौल पीआरएस के द्वारा हीं तैयार किया जाता है। लेकिन ये पीआरएस अपने मूल कार्यो को भूल का फर्जीवाड़ा के धंधे में संलिप्त हो गये है।
केस स्टडी- 1
मनरेगा के योजना में मास्टर रौल में पांच साल पहले मृत व्यक्ति को रोजगार दिया गया है। हाफिजपुर गिरि टोला पुल से मुन्ना साह के खेत तक बाँध के जीर्णोद्धार कार्य में पांच साल पूर्व मृत गिरधारी राम का फर्जी अंगूठा निशान बनाकर जॉब कार्ड के आधार पर कार्य करवाया गया है और उनके खाते में 5 हजार 544 रूपये भुगतान किया गया है।
केस स्टडी-2
संजय राम असम राज्य में सरकारी नौकरी करते है। सहाजितपुर पंचायत के हाफिजपुर गिरि टोला पुल से मुन्ना साह के खेत तक बाँध के जीर्णोद्धार कार्य के मस्टर रौल में मजदूर का कार्य करवाया गया है और फर्जी अंगूठा निशान से जॉब कार्ड, बैंक खाता खोलकर में 5 हजार 544 रूपये भुगतान किया गया है। इन्होंने राशि प्राप्त करने व जॉब कार्ड से इनकार किया है।
केस स्टडी- 3
श्याम बिहारी राम ने मनरेगा का जॉब कार्ड कभी नहीं बनवाया है। फिर भी हाफिजपुर में श्याम नारायण गिरी के खेत से सड़क पुल तक बाँध का जीर्णोद्धार कार्य में मस्टर रौल में फर्जी अंगूठा निशान पर कार्य दिखाकर 14 हजार 256 रूपये भुगतान किया गया है। इन्होंने लिखित बयान दिया है कि मनरेगा को कोई कार्य नहीं किया है और न हीं रूपये प्राप्त किया है।
केस स्टडी- 4
बनियापुर प्रखंड में विकास मित्र के पद पर कार्यरत कृष्ण कुमार राम के नाम पर बगैर सहमति के एसबीआई में बैंक खाता खोला गया है और मस्टर रौल में फर्जी अंगूठा के निशान बनाकर कार्य दिखाया गया है। इन्होंने लिखित बयान दिया है कि मनरेगा के योजना में कोई कार्य नहीं किया और न हीं भुगतान राशि पाया है। फिर भी इनके बगैर सहमति के खोले गये बैंक खाता में 5 हजार 544 रूपये भुगतान किया गया है।
केस स्टडी- 5
सुरेन मियॉ को मनरेगा के कार्य के बदले 8 हजार 712 रूपये भुगतान किया गया है। जबकि इन्होंने मनरेगा के तहत कोई कार्य नहीं किया है और न हीं भुगतान पाया है। फिर भी मनरेगा योजना के मस्टर रौल में फर्जी अंगूठा का निशान बनाकर कार्य दिखाया गया है।
केस स्टडी- 6
पुनदेव महतो ने कभी भी अपना जॉब कार्ड नहीं बनवाया है और न हीं किसी योजना में कार्य किया है। फिर भी योजना के मस्टर रौल में फर्जी अंगूठा निशान बनाकर कार्य करना दिखाया गया है तथा 5 हजार 742 रूपये भुगतान किया गया है। जबकि पुनदेव महतो ने कोई राशि प्राप्त नहीं किया है।
इन बिन्दुओं पर अनियमितता हुआ है प्रमाणित
(क)लाभार्थी के बिना संज्ञान के फर्जी तरीके से योजना की राशि का उठाव किया गया है।
(ख)मस्टर रौल का संधारण फर्जी तरीके से किया गया है। मृत व सरकारी सेवा में कार्यरत एवं योजना से लाभ नहीं लेने वालों के अंगूठ का निशान पाया गया है।
(ग) जॉब कार्डधारी के नाम से गलत ढ़ंग से बैंक खाता खुलवाये गये है। जिसका पता जॉब कार्डधारी को पता नहीं है।
(घ)अनेको जॉब कार्ड संदेहास्पद प्रतीत हुआ है।


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