राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। पिछले कोरोना काल में भारत में सबसे अधिक मौतें हुई, लगभग 47 लाख। आपको याद होगा कि दैनिक भास्कर के दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान स्थित दफ्तरों पर पिछले वर्ष आयकर विभाग के छापे पडे़ थे।उसने मौत के आंकडो को पेश करते हुए एक रिपोर्ट शाया कर दिया था। मोदी सरकार हमेशा सच्चाई को छुपाने का प्रयास किया है और अपनी पीठ अपने ही थपथपाती रही है। इस बार WHO ने उसकी कलई खोल दी है। आपको यह भी याद होगा कि मोदी सरकार आक्सीजन की किल्लत से हुई मौतों से भी इन्कार कर रही थी।
बिहार सरकार ने भी केन्द्र सरकार का अनुसरण करते हुए कहा था कि बिहार में आक्सीजन से मौत की रिपोर्ट नहीं है। WHO की रिपोर्ट को गलत बताने की यह सरकार चाहे लाख कोशिश कर ले। सच वही है जो लोगों ने अपनी आँखों से देखा है। देखा, नदियों में बहती हुई लाशें, लाशों को दफनाने के लिये जगह की भारी किल्लत, लावारिस लाशों को कुत्तों द्वारा नोचते हुए, क्योंकि मइअत को जगह की कमी के कारण जहाँ तहाँ फेक दिया जाता था। मिडिया ने भी सच्चाई को दबाने की कोशिश की थी। एक ने हिम्मत जुटाई जिसे भारी किमत चुकानी पडी़ थी। दरअसल मोदी सरकार का ध्यान बस एक ही जगह केन्द्रित है और वो है कि कैसे अडानी- अम्बानी की तिजोरियों को भरा जाय। इसे जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा जान माल की प्रवाह नहीं है। कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजा देने पर भी लेकिन वेकिन क्या दर्शाता है ? एक निष्ठुर और निरंकुश सरकार का कौन आचरण बचा है ?
लेखक: अहमद अली।


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