राष्ट्रनायक न्यूज।
हर बात कहेला, अलग अलग मंच होला
केहुँ कबो दोषी त, कबो पंच होला,
साचके मान राखही ला, हर पापी के अंत होला।
फूल ना खिले त्अ, माली के दोष ना होला
जीजा रूस जास त्अ, साली के दोष ना होला
नाशा चाहे केतनो होखे, प्याली के दोष ना होला
सीसा से कबहू, पत्थर ना टूटे
करमवीर कबहू अपना्र लक्ष से ना चूके
आइना नियन मन साफ राखी, आइना में झूठ ना छुपे
समय के चाल, निरंतर होला
पथल टूटलो पर, कंकर होला
जे सभके समान माने, ऊँहे जगत मे शिवशंकर होला
सागर के कहा थाह लागेला, गरीबी पर मत हसी उनकर आह लागेला
भटक जाला जवन आत्मा, त्अ उसे अपना से पनाह मांगेला।
सूर्येश प्रसाद निर्मल, शीतलपुर तरैयाँ


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