राष्ट्रनायक न्यूज

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मशरक में निजी विद्यालयों में छात्रों को परिवहन सेवा देने के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़, प्रशासन मौन

पंकज कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
मशरक (सारण)। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न निजी विद्यालयों में अच्छी शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण और ऊपर से उनके बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ महीनों पहले निजी विद्यालय में खटारा बस को मासूम बच्चों से धक्का लगाने का विडियो वायरल हुआ था वहीं अब एक स्कूल बस में पीछे का शीशा नही होने और बस धरल्ले से सड़कों पर दौड़ने का विडियो फिर से वायरल हो रहा है। विडियो देखने से लगता है कि परिवहन विभाग यातायात जिम्मेदारियों को भूल गयी है। यही कारण है कि स्कूली बच्चों के जीवन से कब खिलवाड़ हो जाए कहा नहीं जा सकता है। मशरक प्रखंड के विभिन्न गांवों में अवस्थित निजी विद्यालयों की बात करें तो गिनती के विद्यायलों के ही वाहन मानकों को पूरा करते हैं। बिना सुरक्षा शीशा लगें वस से विद्यालयों के बच्चे जान जोखिम में डाल वाहनों से रोजाना घर से स्कूल आ जा रहे हैं। मामले में एक निजी विद्यालय के शिक्षक के अनुसार बच्चों को स्कूल लाने, ले जाने के लिए दो तरह के वाहन चलते हैं। एक तो विद्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। दूसरा विद्यालय से अलग वाहन चालक अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों की जिम्मेदारी उठाते हैं। जो वाहन विद्यालय में चलते हैं, इनमें से भी कई के फिटनेस नहीं हैं। कई वाहनों के चालकों के पास पुराना लाइसेंस नहीं है। कुछ विद्यालयों में तो पुरानी बसें भी चल रही हैं। मशरक के एक प्रतिष्ठित विद्यालय के सामने कुछ वाहन ऐसे भी थे जो बच्चों के बैग वाहनों की छत से बच्चों से ही उतरवा रहे थे। सड़क पर बैटरी चलित तीन पहिया गाड़ी भी मिली, जिसका अगले हिस्से को शीशा गायब था। तीन पहिया आटो भी दिखाई पड़ा उसमें ठूंस ठूंसकर बच्चे भरे थे। पिछली सीट पर ही छह बच्चों को बैठाया गया था। वही निजी विद्यालयों में तों बोलेरो और छोटे मैजिक वाहन में बच्चों को ठूंस ठूंसकर भर कर लाया और ले जाया जा रहा है। मामले में यातायात नियमों के जानकार ने बताया कि विद्यालयों को हर साल वाहनों की फिटनेस करानी चाहिए। चालक के पास लगभग पांच साल पुराना लाइसेंस हो। वाहन पीले रंग से रंगा हो। दोनों तरफ विद्यालय का नाम अंकित होना चाहिए। पीछे चालक का नाम व मोबाइल अंकित हो। सबसे अहम बात वाहन की सीट क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बच्चों को ही बैठा सकते हैं। इससे अधिक बैठाना गलत होगा और पकड़े जाने वाहन सीज किए जा सकते हैं।

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