राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। जिले में एकमा प्रखंड के चनचौरा पंचायत के बंशी छपरा बेछपरी गांव निवासी व आरटीआई एक्टिविस्ट अर्जुन सिंह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में तैनात जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को स्पीड पोस्ट से एक आरटीआई आवेदन भेज कर शिक्षा विभाग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। उन्होंने अपने आवेदन के माध्यम से 31 मार्च 2015 के बाद जिले के विभिन्न प्रखंडों में अनुकंपा के आधार पर नियोजित शिक्षकों का विवरण उपलब्ध कराने की मांग की है। जिसमें सभी शैक्षणिक/प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों एवं नियोजन पत्र का दिनांक व पत्रांक सहित सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से विहित प्रपत्र में उपलब्ध कराने से संबंधित तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सारण द्वारा अपने पत्रांक 2801 दिनांक 21.08. 2020 के माध्यम से विहित प्रपत्र में प्रतिवेदन मांगी गई थी। वहीं तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा मांगी गई सूचना से संबंधित पत्र की छायाप्रति को संलग्न करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता श्री सिंह ने सूचना मांगी है। मांगी गई सूचना में संबंधित जानकारी विहित प्रपत्र में उपलब्ध कराने की बात कही गई है। आवेदन के साथ संलग्न विहित प्रपत्र में मांगी जाने वाली सूचनाओं में सेवाकाल में मृत सरकारी शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी का नाम, मृत्यु की तिथि, आश्रित का नाम- जिनका अनुकंपा के आधार पर नियोजन किया गया, पदस्थापित विद्यालय का नाम, पद का नाम जिस पर नियोजन किया गया, नियोजन पत्र का पत्रांक एवं दिनांक, विद्यालय में योगदान की तिथि, वेतन भुगतान की स्थिति, शैक्षणिक/प्रशैक्षणिक योग्यता, सभी प्रकार के सत्यापन की स्थिति, शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं अथवा नहीं, आदि से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।
जिले में बहाल कुछ शिक्षकों का नहीं हो रहा वेतन भुगतान:
आरटीआई कार्यकर्ता श्री सिंह का आरोप है कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में 31 मार्च 2015 के बाद सेवा काल में मृत शिक्षकों के आश्रितों का शिक्षक के पद पर विभिन्न विद्यालयों में नियोजन किया गया है। जिनमें से समान अर्हता रखने वाले अधिकांश शिक्षकों का नियमित वेतन भुगतान हो रहा है। जबकि शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा भेदभाव करते हुए अनुकंपा पर बहाल कुछ शिक्षकों से वर्षों से सभी शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कार्यों को कराए जाने के बावजूद उनका वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है।
वैशाली जिले के 30 शिक्षकों के वेतन भुगतान नहीं होने से हाई कोर्ट का रुख सख्त:
एक हिन्दी दैनिक अखबार में बीते 23 जून को प्रकाशित खबर के अनुसार पटना हाईकोर्ट में के न्यायाधीश ने वैशाली जिले के जिला शिक्षक नियोजन प्राधिकार के आदेश के अनुपालन में बहाल किए गए 30 प्रखंड शिक्षकों के 4 वर्षों से वेतन भुगतान नहीं करने के मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए वित्त सचिव को आदेश दिया है कि शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव समेत अन्य संबंधित अधिकारियों के भी वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दें। बताया गया है कि इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने उमेश कुमार सुमन और अन्य की याचिका को सुनते हुए यह आदेश दिया है।
नियुक्ति होने के बाद वेतन पर अर्हता को लेकर रोक लगाना अनुचित: हाईकोर्ट
सनद रहे कि वैशाली जिले के 30 प्रखंड शिक्षकों की 2008 की रिक्तियों के आलोक में जिला शिक्षक प्राधिकार के आदेश पर 2018 में नियोजित हुए। उन तमाम शिक्षकों से लगातार काम लिया जाता रहा। लेकिन सैलरी देने की बात आयी तब शिक्षा विभाग ने उन शिक्षकों की अर्हता पर ही सवाल उठाते हुए वेतन रोके रखा गया। इस पर हाईकोर्ट ने बीते नवंबर माह में शिक्षा विभाग को आदेश दिया था कि नियुक्ति होने के बाद वेतन पर अर्हता को लेकर रोक लगाना अनुचित है। शिक्षकों को सेवा के दौरान ही अपनी अर्हता को अपग्रेड करने का मौका देना चाहिए। हाईकोर्ट द्वारा शिक्षा विभाग को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन छह माह बाद भी वेतन भुगतान के संबंध में कोई उपाय नहीं किया जा सका है।
वैशाली की तरह सारण में भी अनुकंपा व प्राधिकार से बहाल शिक्षकों का वर्षों से नहीं हो रहा वेतन भुगतान:
वैशाली जिले की तरह ही सारण जिले में भी अनुकंपा के आधार पर व जिला प्राधिकार से बहाल शिक्षकों का वर्षों से वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। एकमा, जलालपुर, सोनपुर व सदर प्रखंड में ऐसे शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में नियोजन किया गया है। इन शिक्षकों को बहाल करने के बाद शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षण व चुनाव ड्यूटी सहित अन्य जिम्मेदारी देकर सेवाएं ली जा रही हैं। लेकिन उनको वेतन भुगतान नहीं करके उनके अर्हता और अन्य कारणों का हवाला देकर विभागीय उच्चाधिकारियों से पत्राचार कर मार्गदर्शन मांगा जा रहा है। लेकिन विडंबना यह है कि लगभग एक साल बाद भी इससे संबंधित मार्गदर्शन उच्चाधिकारियों द्वारा नहीं दिया जा सका है। जिससे संबंधित अनुकंपा पर बहाल शिक्षकों के परिजन भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इस बीच आरटीआई कार्यकर्ता अर्जुन सिंह द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराए जाने के बाद सारण जिले में भी शिक्षा विभाग की कारगुजारियों के सामने आने की उम्मीद है।
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