विभूति नारायण। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। काला दिवस आपातकाल पर संगोष्ठी का आयोजन छपरा शहर स्थित एसडीएस पब्लिक स्कूल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा ने कहा कि आपातकाल की काली रात याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं, कि कैसे आपातकाल का विरोध करने वालों को सरकार ने ब्रिटिश हुकूमत के दौरान किए गए अत्याचारों की याद दिला दी थी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपने आप को यदि सचेत रखना है तो, हम सभी को आज का दिन याद रखना होगा याद रखना होगा कि आपातकाल के दौरान एक परिवार ने सत्ता सुख के खातिर संविधान का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 47 साल पूरे होने के मौके पर ‘काला दिवस’ का आयोजन कांग्रेस की आलोचना करने भर के लिए नहीं बल्कि संविधान पर इसके जोखिम के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए है।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने आम जन की आवाज कुचलने की पूरी कोशिश की। धारा-352 लगा दी गई। जिसके तहत सरकार को असीमित अधिकार मिल गए। इस धारा के मुताबिक इंदिरा जब तक चाहें सत्ता में रह सकती थीं। लोकसभा-विधानसभा के लिए चुनाव की जरूरत नहीं थी। मीडिया और अखबार आजाद नहीं थे। सरकार कैसा भी कानून पास करा सकती थी सेंसेर और प्रजातंत्र के एकाधिकार द्वारा श्रीमति इंदिरा गांधी जनता को विपक्ष से पूरी तरह से काट देना चाहती थीं। लेकिन हुआ ठीक इसका उलट। उनके प्रचार-तंत्र की विश्वसनीयता खत्म सी हो गई थी। भूमिगत साहित्य ने विपक्ष से जनता को जोड़े रखा। इसके विपरीत श्रीमति इंदिरा गांधी जनता से बुरी तरह से कट गईं। जनमानस की मन: स्थिति की इसी स्थिति से गैर जानकार रहने के कारण श्रीमति गांधी चुनाव कराने का फैसला ले बैठीं और जब उन्होंने जन-मानस का बदला हुआ रूप देखा, तब तक काफी देर हो चुकी थी। जनता ने तख्तापलट दिया था।
वहीं उप मुख्य सचेतक जनक सिंह ने कहा कि एक परिवार के विरोध में उठने वाले स्वरों को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 21 महीनों तक निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहते हुए देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले सभी देशवासियों के त्याग व बलिदान को आज मैं नमन करता हूँ।
आपातकाल की यातनाओं एवं अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होने ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान आज ही के दिन 25 जून, 1975 को आपातकाल लागू की गई थी कांग्रेस ने देश में आपातकाल लगाकर देश की जनता के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया था। भूखे, बेरोजगार, निराश्रित लोगों पर सहानुभूति की बजाय उनसे अमानवीय व्यवहार किया गया और बलपूर्वक नसबंदी जैसा असंवेदशील कार्यक्रम चलाया गया।आपातकाल के दौरान देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। संस्थाओं पर कांग्रेस का कब्जा हो गया था और कांग्रेस की प्रशंसा करने वाले लोगों को ही इन संस्थाओं में काम करने का मौका दिया गया था। इस दौरान सरकार का विरोध करने वालों को जेल भेजा गया पूरे के पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था।
मौके पर पूर्व प्राचार्य अरुण कुमार सिंह ने कहा कि भारत की आत्मा गॉंवों में बसती है आपातकाल की भयावहता ने उनकी आत्मा को झकझोर डाला था। गाँव की बेबस मासूम जनता के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। बहुत से गॉंव ऐसे थे जिन पर सत्ता के आदेश पर अत्याचार किये गये किन्तु उनका कोई व्यौरा दर्ज नहीं किया था। अपना प्रभुत्व सबसे निचले तबके तक बनाये रखने के लिए तथा आपातकाल का खौफ बनाने के लिए निरपराध एवं मासूमों को टार्गेट किया गया। और इन्हें झूठे केसों में गिरफ्तार किया गया था। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री शान्तनु कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री रामाशंकर मिश्र शांडिल्य ने किया। इस अवसर पर जेपी सेनानी विनोद कुमार सिंह, अजय अजनबी, सियाराम सिंह, डाॅ किशोर कुमार नास्तिक, शेखर सिंह, ललन सिंह, सुरेश विश्वकर्मा आदि को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उप मुख्य सचेतक सह विधायक जनक सिंह भाजपा जिलाध्यक्ष राम दयाल शर्मा, जिला प्रभारी अनूप श्रीवास्तव, महामन्त्री रामाशंकर मिश्र शांडिल्य, शान्तनु कुमार, भाजपा युवा नेता श्याम बिहारी अग्रवाल, मंत्री सत्यानंद सिंह, प्रदेश कार्य समिति सदस्य हरि नारायण सिंह, शिक्षा प्रकोष्ठ संयोजक प्रो देवेंद्र कुमार सिंह, सैनिक प्रकोष्ठ संयोजक उमाकांत पाण्डेय, विधि प्रकोष्ठ संयोजक मनोज कुमार सिंह अधिवक्ता, युवा मोर्चा अध्यक्ष पुष्पेंद्र उपाध्याय, रमाकांत सिंह सोलंकी, चरणदास, अजय साह, शत्रुघ्न चौधरी, अनूप यादव, अनिल यादव आदि उपस्थित हुए। सभी मंडलों में तथा बूथों पर मन की बात को सुना गया।



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