- धान के खेतों में फटने लगी दरारें, पम्पिंग सेट से पटवन करने में किसानों को करनी पड़ रही है अतरिक्त खर्च
- नहरों में नही है,पानी राजकीय नलकूप की भी स्थिति दयनीय।
संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। मॉनसून के यूटर्न लेने के बाद मौसम के तल्ख तेवर को देख किसान एक बार फिर अपने को बेवस और लाचार महसूस कर रहे है।बिगत एक पखवाड़े से चिलचिलाती धूप की वजह से भादो के महीने में ज्येष्ठ-बैशाख सा नजारा देख किसानो का सब्र जवाब देने लगा है।काफी हिम्मत जुटाकर ख़र्च की परवाह किये बगैर किसानों ने कड़ी मेहनत के बल पर पम्पिंग सेट चलाकर जैसे-तैसे धान की रोपाई तो कर ली।मगर अब खेतो में पानी के अभाव में दरारें पड़ने लगी है।जो किसानों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है।अब तक औसत से काफी कम वारिस होने से किसानो के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गई है।अवध कुमार,संतोष राय,मनोरंजन कुमार,सुदामा ओझा,महेश राम सहित दर्जनों किसानो का कहना है की एक ओर बारिस नही होने से धान के पौधे सूखने लगे है।वही दूसरी ओर मक्के के पौधे भी पीले पड़नें लगे है।
पौधों में नही हो रही है,बृद्धि।
मौसम अनुकूल होने की उम्मीद पर किसानो द्वारा पम्पिंग सेट चलाकर धान की पटवन की जा रही है। मगर तेज धूप होने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।आसमानी पानी नही होने से खेत जल्द ही सुख जा रहे है।जिससे किसानों के समक्ष लगातार पटवन की समस्या उतपन्न हो गई है।जिससे आर्थिक,शारीरिक और मानसिक बोझ बढ़ने लगा है।प्रतिकूल मौसम की वजह से धान के पौधों में आसा के अनुरूप बृद्धि नहीं होने से किसान चिंतित दिख रहे है।पानी के अभाव में खेतो में दरारे फट गई है।जिससे पौधों का विकास अवरुद्ध हो गया है।खेतो में पानी नहीं रहने से खरपतवार में भी तेजी से बृद्धि होने लगा है।जिससे किसानो की मुश्किलें और बढ़ गई है।
बारिस के अभाव में 40 प्रतिशत किसान रोपनी से रह गये बंचित।
किसानो की माने तो इस बार महज 60 प्रतिशत किसानों ने ही धान की रोपाई की है।जबकि शेष किसान प्रतिकूल मौसम को देख बिचड़ा ही नही डाल सके।जिससे रोपनी का कार्य प्रभावित हो गया।ब्योबृद्ध और अनुभवी किसान मदन सिंह ने बताया की बिगत एक दशक में इस तरह की स्थिति उतपन्न नही हुई थी।पूरा आषाढ़ और सावन महीना सूखे में गुजर गया।जिससे धान और मक्के की रोपनी बुरी तरह से प्रभावित हुई है।मौसम की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है की देर से की गई धान और मक्के की बुआई से किसानों को आशा के अनुरूप लाभ नही मिल सकेगा।वही मौषम का हाल अगर इसी तरह बना रहा तो आगामी फसल के लिये भी किसानों के समक्ष परेशानी उतपन्न होंगी।
पम्पिंग सेट से पटवन करने में बढ़ रही है,लागत खर्च।
कुछ साधन संपन्न किसानो को छोड़ दे तो,लघु एवं सीमांत किसानो और बटाई पर खेती करने वाले किसानो को पम्पिंग सेट चला धान के पौधों की लगातार सिंचाई करने में आर्थिक रूप से मुश्किलो का सामना करना पर रहा है।180-200 रुपये प्रति घंटे की दर से पम्पिंग सेट चालक पानी चला रहे है।ऐसे में आसमानी पानी नही होने से 10-12 दिन के अंतराल पर पौधों की सिंचाई करनी पड़ रही है।जिससे किसानो को अतिरिक्त राशि का वहन करना पड़ रहा है।वही सिंचाई बिभाग द्वारा कई जगहों पर किसानो को राहत पहुँचाने के उद्देशय से नहरो की सफाई तो की गई मगर समय पर पानी नहीं आने से किसानो को नहर के पानी का लाभ नहीं मिल सका।कन्हौली स्थित नहर में अब तक पानी नहीं आने से किसानो की उम्मीदों पर पानी फिर गया।जिससे किसानो में रोष व्याप्त है।वही प्रखंड अंतर्गत एक दर्जन से अधिक राजकीय नलकूप है।मगर ज्यादातर नलकूप बेकार पड़े है।
बिभागिये स्तर पर सिचाई के लिये दी जा रही है,डीजल अनुदान।
धान के पौधों की सिंचाई के लिये बिभागिये स्तर पर किसानों को डीजल अनुदान राशि मुहैया कराई जा रही है।प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी अभय कुमार ने बताया कि विभागीय निर्देशानुसार प्रति एकड़ सिंचाई के लिये किसानों को सात सौ पचास रुपये की राशि निर्धारित की गई है।इधर किसानों का कहना है कि डीजल अनुदान भुगतान की जटिल प्रक्रिया होने के कारण ज्यादातर किसानों को योजना का लाभ नही मिल पा रहा है।
फोटो( धान के खेत मे फटी दरारे सूखा पड़ा नहर)।
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