राष्ट्रनायक न्यूज

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गया में पिंडदान से कैसे मिलती हैं पूर्वज को मुक्ति, जानें श्राद्ध पर तर्पण का रहस्य?

राष्ट्रनायक न्यूज।
पितृ पक्ष में गया जी पिंड दान करने से पितरो को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है सोलह दिन तक चलने वाला यह श्राद्ध पक्ष विशेष कर पितरो के तर्पण के लिए पवन भूमि है गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पृथ्वी के सभी तीर्थों में गया सर्वोत्तम है। तो वायु पुराण में वर्णित है कि गया में ऐसा कोई स्थान नहीं, जो तीर्थ न हो। मत्स्य पुराण में गया को ‘पितृतीर्थ’ कहा गया है। गया में जहां- जहां पितरों की स्मृति में पिंड अर्पित किया जाता है, उसे पिंडवेदी कहा जाता है। एक बार सनंतकुमार नारद जी से पूछे कोई पवित्र भूमि बताओ जहा पर श्राद्ध और पिंडदान करने से मुक्ति प्राप्त हो नारद जी बोले गयासुर नमक दैत्य था बड़ा बलि उत्पन हुआ .उसके ऊपर ब्रह्मा ने धर्मशीला रखकर यज्ञ किया। इस शिला के अचल होने के बाद भगवान विष्णु गदाधर नाम से गदा लेकर उपस्थित हुए और सभी देवता फल्गु का स्वरूप लेकर आये। ब्रह्मा ने यज्ञ करके ब्राह्मण को दान में घर, सोना, चांदी आदि दान दिए तभी से यह भूमि पवित्र हो गयी। यही पित्र सदेव वास करते है। वह हरदम यही उनकी आशा करते है हमारे कुल में कोई ऐसा उत्पन हो जो यहाँ आकर पिंडदान करे हमलोग का मुक्ति हो। गया में श्राद्ध करने वाले को किसी काल का विचार नहीं करना चाहिए।

गया में पिंडदान से कैसे होती पूर्वज को मुक्ति:

  • गया में पुत्र को जाने तथा फल्गु नदी में स्पर्श करने से पितरो का स्वर्गवास होता है।
  • गया क्षेत्र में तिल के साथ समी पत्र के प्रमाण पिंड देने से पितरो का अक्षयलोक को प्राप्त होता है।
  • यहाँ पर पिंडदान करने से ब्रह्हत्या सुरापान इत्यादि घोर पाप से मुक्त होता है।
  • गया में पिंडदान करने से कोटि तीर्थ तथा अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
  • यहाँ पर श्राद्ध करने वाले को कोई काल में पिंड दान कर सकते है साथ ही यहाँ ब्राह्मणों को भोजन करने से पितरो की तृप्ति होती है।
  • गया में पिंडदान करने के पहले मुंडन कराने से बैकुंठ को जाते है साथ ही काम ,क्रोध ,मोक्ष को प्राप्ति होती है।

गया में तर्पण का का रहस्य:

यहाँ माता सीता ने तर्पण किया था गया में पिंडदान करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस स्थान को मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। बताया जाता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं। गया में श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करने से कुछ शेष नहीं रह जाता और व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है।

संजीत कुमार मिश्रा, ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 /9545290847

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