राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

गरीबों, शोषितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले …केशव बाबू अब नही रहे

  • गरीबों, शोषितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले …केशव बाबू अब नही रहे
  • गरीबों, शोषितों की लड़ाई में 35 बार जेल जा चुके है केशव बाबू 

छपरा(सारण)। सदर प्रखंड के जमुना मुसेहरी ग्राम के जन्में गरीबों के मसीहा, सामाजिक कार्यकर्ता व बिहार विधि लिपिक संघ के महासचिव केशव कुमार सिंह की हृदय गति रुकने से शुक्रवार की दोपहर लगभग 1:30 बजे जेपी अस्पताल हाजीपुर (वैशाली) में असामयिक निधन हो गया। वह लगभग 60 वर्ष के थे। वे बीते कुछ दिन से बीमार चल रहे थे। परिजनों ने बताया कि उनको खून की कमी हो गई थी। तबियत बिगड़ने पर उन्हें उपचार हेतु हाजीपुर ले जाया गया। जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली है। मरणोपरांत जाँच रिपोर्ट आया जिससे पता चला कि उन्हें कैंसर रोग था। जिसकी जानकारी पहले नहीं चल सका। इनकी परिवारिक स्थिति काफी दयनीय है। वह अपने पीछे दो लड़का व पत्नी छोड़ गये। उनके निधन से समाज में अपूरणीय क्षति हुई हैं। उनके असामयिक निधन पर जिले भर के सामाजिक कार्यकर्ता, सभी संगठनों व पार्टी माकपा, भाकपा, माले और विधि मंडल अधिवक्ताओं में शोक की लहर हैं।

गरीबों, शोषितों की लड़ाई में 35 बार जेल जा चुके है केशव बाबू

केशव कुमार सिंह छात्र जीवन से ही जेपी के आंदोलन से लेकर अब तक गरीबों, शोषितों के हक की लड़ाई लड़ते रहने वाले कहे जाते थे। गरीबों, शोषितों के हक के लिए बड़े-बड़े आंदोलन करते रहे और फिर बदल दी सूरत। उनकी मांगो को पूरा कराने के संघर्ष में 35 बार जेल जा चुके थे।केशव बाबू जहाँ भी गये वही व्यवस्था परिवर्तन की जंग लड़ी और उनका जंग ए ऐलान आंदोलन तबतक चलता रहा जबतक सकारात्मक परिणाम नहीं आये। छात्रजीवन से ही व्यवस्था परिवर्तन के लिए संघर्ष जारी किया था। उनका मानना था कि सामाजिक बदलाव तभी आएंगे जब व्यवस्था बदलेंगी।केवल सत्ता परिवर्तन से व्यवस्था में परिवर्तन संभव नहीं है।संघर्ष के चरम रूप युद्ध होता है और उन्होंने युद्ध स्तर पर वर्ग संघर्ष करते रहे। वें प्रायः कहते थे कि युद्ध बहुत ही बुरा चीज है, लेकिन इतिहास में भी युद्ध का वर्णन है युद्ध दो प्रकार का होता है एक न्यायपूर्ण व दूसरा अन्यायपूर्ण युद्ध। वे कहते थे कि मै न्यायपूर्ण युद्ध का पक्षधर हूँ। और युद्ध को युद्ध से ही निर्मूल किया जाता है। न्यायपूर्ण युद्ध अंतिम युद्ध होता है जिसे निर्णायक युद्ध कहा जाता है इसके बाद युद्ध नही होगा। मानव समाज का समायवी विकास होगा। बताते चले कि केशव जी शहर के लोकमान्य स्कूल में पढ़ रहे थे ।उस समय देश में इमरजेंसी लगी थी। इमरजेंसी के दौरान ही छपरा के पुलिस लाइन मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा होने वाली थी, इमरजेंसी में उन्होंने छात्रों की टीम बनाकर पुलिस लाइन में प्रधानमंत्री की सभा रोक दी। गिरफ्तारियाँ हुई, जुल्म सहे परन्तु विरोध एवं संघर्ष उनका जारी रहा।

केशव कुमार सिंह

सबसे पहले 1977 में छात्र जीवन में ही जेपी के आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और जेल भी गये।आर्थिक तंगियो को झेलते हुए परिवारिक दबाव में वे असम के एक कंपनी में फिटर का नौकरी ज्वाइन कर लिये। लेकिन वहाँ भी मजदूरों का शोषण नही सहा गया, फिर क्या था, आंदोलन शुरु हो गया। आंदोलन इतना तेज होने लगा कि उनकी जान जोखिम में पड़ गयी। मजदूर संगठन का नेतृत्व करते हुए वे पुनः छपरा पहुंचे एवं यहाँ सीपीआईएम जिला कमेटी के सदस्य चुने गए। खेतिहर मजदूरों की हक को ले राज्य स्तर तक आवाज़ बुलंद की। मनरेगा योजना के लिए चल रही संघर्ष की लड़ाई लड़ी और अंततोगतवा मजदूरों को अधिकार मिलते गया।विश्वास की इस संघर्ष में सफलता तब हाथ लगी जब 1981 में खनुआ नाला,साढा ओवर ब्रिज संघर्ष समिति गठित कर ओवरब्रिज बनाने की मांग उठाई। काफी संघर्ष के बाद रेलवे बोर्ड से स्वीकृति मिल गई, परन्तु विभागीय अड़चन आने के कारण वह कार्य बाद में फलीभूत हुई। पुनः वर्ष 2010 में बिजली लाओ संघर्ष समिति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए आठ गाँवों में विधुतीकरण कराये। गरीबों को रोजगार ,वृद्धा पेंशन तथा अन्य तमाम समस्याओं को लेकर सैकड़ो बार धरना प्रदर्शन एवं पदाधिकारियों का घेराव कर चुके थे। इस संघर्ष में 35 बार जेल में बंद किये गये। तीन वर्ष जेल में ही बिताए।तत्पश्चात विधि लिपिक सह अधिवक्ता रहते हुए उन्होंने बिहार विधि लिपिक महासंघ के राज्य संगठन महासचिव के रूप में राज्य स्तर तक विधि लिपिकों के लिए पहचान पत्र देने एवं अन्य सुविधा की मांग को आंदोलन किया। परिणामतः सर्वप्रथम छपरा व्यवहार न्यायालय के विधि लिपिकों को पहचान पत्र निर्गत करवाया गया। वह लड़ाई पूरे बिहार में चला।वे कहते थे संघर्ष का मकसद सिर्फ एक ही रहा है कि राजनीति व कार्यव्यवस्था प्रणाली में एक अद्भुत बदलाव आये।व्यवस्था की लड़ाई हर समय लड़ते रहना चाहिए। इस लड़ाई में फिर उन्होंने छपरा में रैन बसेरा, रिक्शा यूनियन के लिए लड़ा, जिसमें वे सारण प्रमंडलीय आयुक्त से मिलकर गरीब, असहाय वंचित लोगों को रहने ठहरने के लिए छपरा नगर निगम शहर में कमरा व बेड की व्यवस्था कराये। फिर उसके बाद संघर्ष का क्रम 2016 में अखिल भारतीय दांगी/ डांगी क्षत्रिय संघ बनाकर दांगी जाति के लोंगों के लिए लम्बा समय तक क्रांतिकारी आंदोलन करते हुए उस जाति के सुविधा और अधिकार के लिए आरक्षण दिलवाने का कार्य किये। तत्पश्चात बिहार के सभी जिलों में दांगी जाति का आरक्षण की संघर्ष जारी है।केशव कुमार दांगी विध्न बधाओं एवं सामाजिक आर्थिक समस्याओं से जिंदगीभर जुझते रहे। यही जिंदगी है और यही उनकी लड़ाई थी जीने की सार्थकता उनकी इसी में थी।

You may have missed