बाढ़ राहत कार्य में अनियमितता मामले में मशरक सीओ से जवाब-तलब
- डीएम ने मढौरा एसडीओ को दिया जांच का आदेश
पंकज कुमार सिंह। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा(सारण)। बाढ़ राहत कार्य में अनियमितता बरतने मशरक के अंचल पदाधिकारी को महंगा पड़ा। सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने मशरक के अंचल पदाधिकारी ललित कुमार सिंह से स्पष्टीकरण पूछा है और बनियापुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी सुदामा सिंह को मशरक के अंचल पदाधिकारी का कार्यभार संभालने का आदेश दिया है साथ ही मशरक अंचल पदाधिकारी ललित कुमार सिंह तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी को आदेश दिया है कि वह बनियापुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी के नेतृत्व में बाढ़ राहत कार्यों में सहयोग करेंगे। उन्होंने अंचल पदाधिकारी से 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब देने का आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि क्यों नहीं सरकारी कार्य के प्रति लापरवाही बरतने, आपदा प्रबंधन जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य को भी गंभीरता से नहीं लेने तथा स्वेच्छाचारिता एवं मनमाने ढंग से कार्य करने उच्च अधिकारियों के आदेश एवं विभागीय नियमों की अवहेलना करने, वरीय अधिकारियों को दिग्भ्रमित करने, सरकारी कार्य के संपादन में शिथिलता बरतने के आरोप में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी जाय। प्रपत्र “क” गठित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई एवं निलंबन के लिए आपदा प्रबंधन एवं राजस्व विभाग को लिखा जाए। स्पष्टीकरण पर निर्णय होने तक अंचल पदाधिकारी के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
क्या है मामला
जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन तथा पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय बाढ़ राहत कार्यों का निरीक्षण करने मशरक गए थे। इस दौरान उन्होंने शनिवार को दिन के 1:45 बजे अंबेडकर चौक पहुंचे तो, पाया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को उस समय भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था। वहां बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पिछले दो दिनों से एक कैंप का संचालन नहीं किया गया है। शनिवार को भी काफी देर से भोजन उपलब्ध कराया गया। इसी तरह कर्ण कुदरिया कैंप के निरीक्षण में डीएम ने पाया कि दिन के 2:00 बजे सिर्फ आलू की सब्जी बनाई जा रही है। एक अन्य कैंप में 2:00 बजे दिन तक खाना बनाने के लिए खाद्यान्न सामग्री गिराई जा रही है। वहां भी बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि दो दिनों से कैंप का संचालन नहीं किया गया है।शनिवार को केवल खाद्य सामग्री ही उपलब्ध कराई गई है, जिसके कारण शनिवार की शाम तक बाढ़ पीड़ितों को भोजन नहीं मिल सका। निरीक्षण के दौरान डीएम ने यह भी पाया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी उपस्थित नहीं था। 40 आरडी स्थित कैंप 3:00 बजे दिन तक भोजन बनाने का ही काम चल रहा था। उपस्थित लोगों ने बताया कि दो दिनों से कैंप का संचालन नहीं किया जा रहा है। अगर कैंप का संचालन होता भी है तो, सिर्फ एक बार भोजन उपलब्ध कराया जाता है। बाढ़ पीड़ितों ने यह भी बताया कि वहां से लाइट की सुविधा हटा दी गई है, जिसके कारण रात में उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। कवलपुरा के वार्ड नंबर एक, दो और तीन में कैंप का संचालन करने की जानकारी सीओ ने डीएम को दी, लेकिन जब निरीक्षण करने पहुंचे तो, वहां कोई कैंप चल ही नहीं रहा था।सभी कैंप कागजों में ही चल रहा था ह। डीएम ने बताया कि अंचल पदाधिकारी का काम अत्यंत क्षोभजनक, निंदनीय और सरकारी आदेशों की अवहेलना, बाढ़ राहत कार्य के प्रति घोर लापरवाही तथा उदासीनता एवं मनमानेपन का परिचायक है। डीएम ने बताया कि अंचल पदाधिकारी ने 39 स्थानों पर 26 जुलाई से ही बाढ़ राहत शिविर चलाए जाने की लिखित सूचना दी है, परंतु निरीक्षण के दौरान मढौरा के अंचल पदाधिकारी ने अधिकांश को बंद पाया। इस मामले में डीएम ने जब अंचल पदाधिकारी से मोबाइल पर पूछताछ की तो, सीओ ने बताया कि सब कुछ सही ढंग से संचालित किया जा रहा है।निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखा गया और क्षेत्र में जगह-जगह विधि व्यवस्था की गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो गयी। अंचल पदाधिकारी ने डीएम को गलत सूचना देकर बरगलाने का काम किया।डीएम ने समीक्षा के दौरान जब अंचल पदाधिकारी से आवश्यक कागजात प्रस्तुत करने का निर्देश दिया तो उनके निजी व्यक्ति के द्वारा पंजी प्रस्तुत कराया गया, जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। पंजी उपलब्ध कराने वाला व्यक्ति आपूर्तिकर्ता था। वर्तमान परिस्थितियों को देखने से यह प्रतीत हो रहा है कि मशरक अंचल कार्यालय में जबरदस्त बिचौलियों का प्रभुत्व कायम है।


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