- विश्व एड्स दिवस पर प्रभारी सिविल सर्जन की अध्यक्षता में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन
- सभी लोगों तक एचआईवी से सुरक्षा की जानकारी पहुँचना आवश्यक : प्रभारी सीएस
- एचआईवी पॉजिटिव लोगों को शारीरिक सुरक्षा के लिए दवा सेवन जरूरी
- जिला एआरटी सेंटर से 1 हजार 687 लोगों को दिया जाता है संक्रमण से सुरक्षित रहने को मेडिसीन
राष्ट्रनायक न्यूज।
पूर्णिया (बिहार)। एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। गुरुवार को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर मेडिकल कॉलेज के जिला प्रतिरक्षण सभागार में प्रभारी सिविल सर्जन की अध्यक्षता में एड्स जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान सभी स्वास्थ्य कर्मियों को आमलोगों तक एड्स से सुरक्षित रहने की जानकारी पहुँचाने के साथ ही संक्रमित व्यक्ति को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। इस अवसर पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मो. सब्बीर आलम, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, डीआईओ डॉ विनय मोहन, मेडिकल कॉलेज स्थित एआरटी सेंटर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सौरभ कुमार, अहाना टीम एफओ गौतम कुमार, एडेन्ट सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन टीआई के मैनेजर संदीप कुमार सिंह, एड्स परामर्शी राहुल कुमार, प्रीति कुमारी, आईसीटीसी प्रभारी जिला पर्यवेक्षक बी. एन. प्रसाद के अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।
सभी लोगों तक एचआईवी से सुरक्षा की जानकारी पहुँचना आवश्यक : सीएस
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मो. सब्बीर आलम ने बताया कि एचआईवी एक वायरस है जिससे संक्रमित व्यक्ति अगर समय से इसकी पहचान कर लें तो वह इससे शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। एचआईवी संक्रमण का कोई पर्याप्त इलाज नहीं है लेकिन समय पर इसकी जांच हो जाने पर लोग आवश्यक दवाइयों का उपयोग कर इसे कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए लोगों को सभी प्रकार की जरूरी जानकारी का होना आवश्यक है। जिसमें इसके लक्षण, जांच केंद्र मुख्य हैं । स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की खोज कर स्थानीय स्तर पर उनको गोपनीयता का ध्यान रखते हुए उसका पर्याप्त इलाज किया जाता है। सभी संक्रमित व्यक्ति को बेहतर जीवन के लिए एड्स कंट्रोल सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को शारीरिक सुरक्षा के लिए दवा सेवन जरूरी
डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि एचआईवी की पहचान होने और आवश्यक इलाज कराने पर संक्रमित व्यक्ति और उनके बच्चों को सरकार द्वारा सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को परवरिश योजना के तहत 1000 रुपये प्रतिमाह जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को बिहार शताब्दी योजना के तहत 1500 रुपये प्रतिमाह का पोषण भत्ता दिया जाता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह जांच करने और इसके बाद पूरा जीवन संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक दवाओं का उपयोग करना आवश्यक है।
जिला एआरटी सेंटर से 1 हजार 687 लोगों को दिया जाता है संक्रमण से सुरक्षित रहने हेतु मेडिसीन
मेडिकल कॉलेज एआरटी सेंटर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सौरभ कुमार ने बताया कि दिसंबर 2019 से मेडिकल कॉलेज में एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा के लिए संचालित एआरटी सेंटर में पूर्णिया जिला के साथ साथ आसपास के जिले किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, सुपौल, दरभंगा, कटिहार व सहरसा के भी लोगों का इलाज किया जा रहा है। इन सभी लोगों को जिसमें महिला, पुरुष व बच्चे शामिल हैं, उन्हें एआरटी सेंटर द्वारा एड्स से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जाती है। डॉ. सौरभ ने बताया कि वर्तमान में एआरटी सेंटर से 1 हजार 687 लोगों को आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जाती है जिसमें से सिर्फ पूर्णिया जिले के 1 हजार 29 एड्स संक्रमित व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी एड्स संक्रमित व्यक्ति की वायरल लोड जांच हर सप्ताह गुरुवार को एआरटी सेंटर में की जाती है। एड्स के पुराने मरीजों की साल में एक बार जबकि नए मरीजों की साल में दो बार वायरल लोड जांच की जाती है। जांच के साथ ही सभी संक्रमित लोगों को आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि एचआईवी संक्रमित लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो सके। इसके इस्तेमाल करने से लोग एड्स जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
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