- समुदाय स्तर पर किया जा रहा है जागरूक
- फाइलेरिया मरीजों के लिए कारगर और प्रभावी कदम साबित होगी क्लिनिक
- फाइलेरिया मरीजों की बेहतर देखभाल की मिलेगी सुविधा
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। फाइलेरिया रोग को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग भी इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभा रहा है। लिहाजा समुदाय स्तर पर इसे लेकर सघन जागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा है। सहयोगी संस्था के सहयोग से रोग प्रभावित इलाकों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप तैयार कर समुदाय स्तर पर लोगों को रोग के कारण, बचाव सहित उपलब्ध इलाके प्रति जागरूक किया जा रहा है। फाइलेरिया मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंड चिकित्सा केन्द्रों पर मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेब्लिटी प्रिवेंशन क्लीनिक (एमएमडीपी क्लिनिक)स्थापित किया जाएगा। ताकि जो फाइलेरिया रोगी जिला सदर अस्पताल तक नहीं आ सकते, वो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार और एमएमडीपी किट जैसे जरूरी सुविधाएं प्राप्त कर सके। साथ ही फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग के प्रति लोगों को परामर्श और जानकारी भी उनके आस- पास मिल सके।
प्रभावी कदम साबित होगी फाइलेरिया क्लिनिक:
एनटीडी सूची में शामिल रोग जन स्वास्थ्य के लिये बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब हाथीपांव, कालाजार सहित अन्य रोगों पर प्रभावी नियंत्रण को ठोस कदम उठाये जा रहे हैं। ताकि समय पर संबंधित मामलों का पता लगाकर, इसके नियंत्रण, दवा सेवन कार्यक्रम, चिकित्सकीय सेवाओं तक लोगों की आसान पहुंच संबंधी प्रयासों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए रोग नियंत्रण संबंधी उपायों को मजबूती दिया जा सके। इसी कड़ी में फाइलेरिया क्लीनिक का संचालन, पेसेंट सपोर्ट ग्रुप का निर्माण कारगर व प्रभावी कदम माना जा रहा है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी लोगों को परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है। जो अन्य मच्छरों के जैसे ही लोगों को काट कर अपना शिकार बनाता है। यह मच्छर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को काटकर खुद संक्रमित हो जाता है और उसके बाद दूसरे व्यक्ति को काटने पर उसे फाइलेरिया ग्रसित कर देता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों में हो सकता है। यह बीमारी मुख्य रूप से व्यक्ति के पैर या अंडकोश को प्रभावित करता है। जिसे लोग आमतौर पर हाथीपांव व हाईड्रोसील (अंडकोश का सूजन) कहते हैं। यह बीमारी महिलाओं के स्तन और जननांग को भी ग्रसित कर सकता है।इससे सुरक्षा के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। जिले के परसा और दरियापुर प्रखंड में फाइलेरिया क्लिनिक खोला जा चुका है। जल्द हीं अन्य प्रखंडों में इसकी शुरूआत की जायेगी।
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