राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। पूरे विश्व में अल्पसंख्यकों द्वारा राष्ट्र निर्माण को महत्व देते हुए 1992 में प्रत्येक वर्ष 18 दिसम्बर को “अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस” मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया था। उसने एक प्रस्ताव पारित कर ‘अल्पसंख्यक ‘ की वैश्विक परिभाषा दी, जिसके अनुसार- “किसी भी देश में रहने वाले ऐसे समुदाय जो संख्या की दृष्टि से कम हो और सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक रूप से कमजोर हों, जिनकी प्रजाति, धर्म, भाषा आदि बहुसंख्यकों से अलग होते हुए भी राष्ट्र निर्माण, विकास, एकता, संस्कृति, परम्परा और राष्ट्रीय भाषा को बनाये रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हों, तो ऐसे समुदायों को उस राष्ट्र- राज्य में अल्पसंख्यक माना जायेगा “। भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों की सूचि में मुस्लिम, सिख, इसाई, झोराष्ट्रीयन, बौद्ध एंव जौन को शामिल किया गया है। उपरोक्त तथ्यों की जानकारी आज माकपा जिला कार्यालय में आयोजित ” राष्ट्र निर्माण में अल्पसंख्यकों की भूमिका “शीर्षक से आयोजित सेमिनार का उद्घाटन करते हुए मा क पा राज्य सचिवमंडल सदस्य अहमद अली ने दी उन्होंने नीतिश कुमार की पूर्ववर्ती सरकार के उस वादे को याद दिलाया जिसमें सरकार ने यह वादा किया था कि हर कार्यालय में एक उर्दू के जानकार की बहाली की जायेगी, जो अभी तक नहीं हुआ।उन्होंने वक्फ बोर्ड की जमीन के बन्दर बांट, सभी स्कूलों में उर्दू के शिक्षक की बहाली, मदरसों में वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति पर जोर दिया। सेमिनार “अल्पसंख्यक अधिकार मंच”के बैन तले आयोजित था।अध्यक्षता मंच के जिला सचिव तसौवर हुसैन ( सेवानिवृत्ति प्रधानाचार्य) ने किया। माकपा जिला सचिव बटेश्वर महतो ने आये दिन अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास एक जुमला के अलावा और कुछ नहीं है।भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहाँ सबको धार्मिक आजादी हमारे संविधान द्वारा प्रदत है।लेकिन देखा जा रहा है कि इसे भी कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। इससे देश की एकता और अखंडता के सामने प्रश्न चिन्ह उपस्थित हो जायेगा।
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए S F I के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने अल्पसंख्यक छात्रों को पी एच डी और एम फिल करने के लिये सहायतार्थ केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही फेलोशिप को बन्द कर देने की आलोचना करते हुए कहा कि इससे गरीब अल्पसंख्यक छात्र उच्च शिक्षा से बंचित हो जायेंगे।एक तो पहले ही से उच्च शिक्षा में इनका प्रतिशत नगण्य है।केन्द्र सरकार की इस संवेदनहीन फैसले के विरुद्ध आन्दोलन अतिआवश्यक है। सेमिनार में बटेश्वर महतो ने अल्पसंख्यक छात्रों के फेलोशिप को पुनः चालू करने पर प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मत पास किया गया।इसे केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। इस अवसर पर उदयशंकर गुड्डू जी के क्रांतिकारी गीत और जलेश्वर प्रसाद ‘ देहाती ‘की कवाताओं ने सेमिनार के सहभागियों को मंत्रमुग्द कर दिया।
पर्यवेक्षक- अहमद अली प्रेषक,
तसौवर हुसैन सचिव अल्पसंख्यक अधिकार मंच, सारण
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