- 86 लाख हेक्टेयर में हुई धान कि खेती, 2.80 लाख एमटी हुई उपज, 1.10 लाख एमटी खरीदारी का लक्ष्य
- एक क्विंटल धान के बदले 67 किलो चावल का होता है सप्लाई
- धान बेचने को ले 20 हजार 960 किसानों ने 12.48 लाख एकड़ में हुई धान कि उपज बेचने को ले कराया रजिस्ट्रेशन
- धान खरीदने को ले 2040 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। सहकारिता विभाग ने जिले के किसानों से धान की खरीदारी करने को लेकर जिले में 262 पैक्स व 11 व्यापार मंडल को 1.10 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य दिया है। लक्ष्य के आलोक में 73 हजार 764 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति राज्य खाद्य निगम के गोदाम में आपूर्ति करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। करीब 12.48 एकड़ में उपजे धान बेचने को लेकर जिले के 20960 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है। जिसके आलोक में किसानों से धान की खरीदारी की जा रही है। अभी तक 6 हजार 254 किसानों से 41 हजार 475 मीट्रिक टन धान की खरीदारी किया गया है। हालांकि ठंड के प्रभाव होने के कारण धान खरीदारी तेज गति से नहीं हो रही है खरीदे के धान को चावल बनाने के लिए राइस मिलों में भेजना शुरू कर दिया गया है अभी तक 8787 मीट्रिक टन धान राइस मिलों में भेजा गया है जिसके आलोक में अभी तक 7908 मीट्रिक टन चावल राज्य खाद्य निगम यानी एसएफसी गोदाम में भेजा गया है। बहरहाल ठंड के प्रभाव बढ़ने के साथ-साथ धान की खरीदारी भी प्रभावित हो रहा है। जानकारो की माने तो किसानों से धान की खरीदारी समयबद्ध तरीके से नहीं होने के कारण किसान अपने उपज को खलिहान से घर लेकर चले गए। धान को उपयोग करने योग्य रखकर किसान बिचौलियों के माध्यम से औने-पौन दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के व्यापारी बिचौलियों के सहयोग से धान खरीद कर ट्रकों से ले जा रहे हैं। एक अनुमान के माने तो प्रतिदिन जिले के विभिन्न प्रखंडों से 40 से अधिक ट्रक धान लेकर अन्य प्रदेशों में जा रहे हैं लेकिन आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन दूसरे प्रदेशों में धान को जाने से रोकने में विफल साबित हो रही है। पैक्स और व्यापार मंडल किसानों से धान खरीदारी करने में काफी विलंब कर रहे हैं और सहकारिता विभाग मुकदर्शक बनी है।
एक क्विंटल धान के बदले 67 किलो चावल का होता है सप्लाई
धान अधिप्राप्ति करने के बाद पैक्स उसे चावल बनाने के लिए एसएफसी से निबंधित राइस मिलो में भेजते है। इसके बाद राइस मिलर एक क्विंटल धान के बदले में करीब 67 किलो चावल देते है। जिन्हें पैक्स राइस मिलरो के माध्यम से एसएफसी गोदाम में सप्लाई करते है। विभागीय अधिकारियों की माने तो समयबद्ध तरीके से राइस मिलो द्वारा चावल आपूर्ति नहीं करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
2040 रूपये प्रति क्विंटल धान की हुई है खरीदारी
किसानों से धान की खरीदारी के लिए सहकारिता विभाग ने 2049 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य निर्धारित किया था। इसी मूल्य पर जिले के किसानों से धान की खरीदारी की गई है। जानकारी के अनुसार इस बार सामान्य किसानों से करीब 150 क्विंटल तथा बटाईदारों से करीब 50 क्विंटल तक धान की खरीदारी की गई।
86 लाख हेक्टेयर में हुई धान कि खेती, 2.80 लाख एमटी हुई उपज
जिले में खरीफ फसल के अंतर्गत करीब 86 हजार हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी। जिसके आलोक में करीब 2.80 मीट्रिक टन धान का उपज हुआ है। इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी से पूछे जाने पर बताया कि करीब 2.80 मीट्रिक टन धान की उपज का आंकलन किया गया है। इस बार पिछले साल की तुलना में करीब 10 फीसद धान की उपज अधिक हुआ है। उन्होंने बताया कि धान की बुआई के समय सुखार की स्थिति थी, लेकिन किसान डीजल अनुदान प्राप्त कर निजी पंपसेट बोरिंग एवं अन्य उपकरणों के माध्यम से फसलों की सिंचाई की और फसल तैयार होने के समय अच्छी बारिश होने के कारण धान का फसल बेहतर तरीके से तैयार हो गया। जिससे पिछले साल की तुलना में अधिक उपज हुआ है।
विभाग के पास धान को ड्रायर की नहीं है व्यवस्था
जिले में पिछले एक सप्ताह से ठंड का प्रभाव बढ़ने के कारण धान में भी नमी की मात्र में वृद्धि हो गई है। जिससे धान की खरीदारी बाधित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। विभागीय स्तर से जिले के विभिन्न प्रखंडों में धान में नमी की मात्रा को मापा गया है। जिसमें 22 से 24 फीसद तक नमी पाई जा रही है। जानकारों की माने तो धान में नमी को संतुलित करने के लिए जिले के पैक्सों के पास ड्रायर करने की व्यवस्था नहीं है। ताकि अधिक नमी वाले धान को ड्रायर से सुखाकर समान्य किया जा सके।
कृषि ऋण व महाजनों का कर्ज चुकाने के लिए औने पौने दाम पर बिचौलियों से बेच रहे है धान
जिले में किसान अपने धान की फसल को काटकर खलिहान से अपने पैदावार को घर ले जा चुके हैं। लेकिन सहकारिता विभाग के सुस्त रवैया के कारण तेज गति से धान की खरीदारी नहीं हो रही है। इससे किसान कृषि ऋण एवं महाजनों का कर्ज चुकाने के लिए अपने पैदावार को बिचौलियों के हाथो ओने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे। जानकारों की माने तो दूसरे प्रदेशों के व्यापारी स्थानीय बिचौलियों के माध्यम से किसानों से ओने पौने दाम पर धान खरीद रहे और ट्रकों के माध्यम से ले जा रहे हैं उनका कहना है कि छपरा-महम्मदपुर रोड, छपरा- गड़खा-रेवा रोड, छपरा-मांझी रोड प्रतिदिन दर्जनों ट्रक से धान दूसरे प्रदेशों में जा रहा है। लेकिन जिला प्रशासन धान को दूसरे प्रदेशों में ले जाने से रोकने में विफल साबित हो रही है। अगर किसान बिचौलियों के माध्यम से धान बेच देते हैं तो सरकारी स्तर पर धान की खरीदारी प्रभावित हो सकती है। इससे धान की खरीदारी कागज फाइलों में सिमट कर रह जाएगी।
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